Holika Dahan 2022 Date: इस दिन होगा होलिका दहन, जाने इसकी वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यता

Holika Dahan 2022 Date: होली का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. जानना चाहते हैं कि इस साल होली कब है तो बता दें कि होली का त्योहार 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. ज्यादातर जगहों पर होली दो दिन मनाई जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2022 10:57 AM

Holika Dahan 2022: होली हमारे देश का सबसे प्राचीन त्योहार है. खुशियों के इस त्योहार को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्योहार को फाल्गुनी भी कहा जाता है. पहले होली का नाम होलिका या होलाका था. भारतीय नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पहली तिथि को शुरू होता है. इसके आगमन के पूर्व पुराने संवत्सर को विदाई देने और इसकी नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए “होलिका दहन” किया जाता है. इसको कहीं-कहीं पर संवत जलाना भी कहते हैं.

Holi 2022 Date: होली कब है ?

होली का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. जानना चाहते हैं कि इस साल होली कब है तो बता दें कि होली का त्योहार 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. ज्यादातर जगहों पर होली दो दिन मनाई जाती है. इस बार होलिका दहन 17 मार्च को होगा.

Holika Dahan: क्यों जलाई जाती है होलिका

होलिका दहन का त्योहार भक्त प्रह्लाद की स्मृति में मनाया जाता है.हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को आग से न जलने का वरदान था, उसने भगवान श्री हरि विष्णु के भक्त प्रह्लाद को अग्नि में जलाकर मारने की कोशिश की लेकिन होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गए, तभी से होली का त्योहार मनाने की प्रथा चली आ रही है.होलिका दहन(Holika Dahan) के समय अधपके अन्न के रूप में गेहूं की बालियों को पकाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.यह वैदिक काल का एक विधान था जिसमें यज्ञ में आधे पके हुए अन्न को हवन की अग्नि में पकाकर प्रसाद के रूप में लिया जाता था.इसी विधान को आज भी होलिका दहन में निभाया जाता है.होलिका दहन के बाद होलिका की आग की राख को माथे पर विभूति के तौर पर लगाया जाता है.

Holika Dahan: जानें इससे जुड़े वैज्ञानिक पहलू

होली शिशिर और बसंत ऋतु के बीच में मनाई जाती है. इस समय भारत में मौसम बहुत तेजी से बदलता है. दिन में हम गर्मी का अनुभव करते है तो रात में ठण्ड का. शिशिर ऋतु में ठंड के प्रभाव से शरीर में कफ की मात्रा अधिक हो जाती है जबकि वसंत ऋतु में तापमान बढ़ने पर कफ के शरीर से बाहर निकलने की क्रिया में कफ दोष पैदा होता है, जिसके कारण सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ ही गंभीर रोग जैसे खसरा, चेचक आदि होते हैं. इस तरह यह समय बीमारियों का समय होता है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इस समय आग जलाने से वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया नष्ट हो जाते है. अतः होलिका दहन के मनाने से यह हमारे आस पास के वातावरण से बैक्टीरिया को दूर करता है.

इसके साथ ही अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करने से शरीर में नई ऊर्जा आती है जो इस मौसम में हुए कफ दोष से निजात पाने में मदद करता है. दक्षिण भारत में होलिका दहन के बाद लोग होलिका की बुझी आग की राख को माथे पर विभूति के तौर पर लगाते हैं और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वे चंदन तथा हरी कोंपलों और आम के वृक्ष के बोर को मिलाकर उसका सेवन करते हैं. ये सारी क्रियाएं शरीर से रोगों को दूर करने में बहुत मददगार होते है.

Next Article

Exit mobile version