गणगौर व्रत 2025 इस दिन, शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए ऐसे करें साधना
Gangaur Vrat 2025: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर व्रत मनाने की परंपरा है. इस पावन अवसर पर भगवान शंकर और माता पार्वती की आराधना की जाती है. कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत का पालन करती हैं, उन्हें अनंत सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए, इस व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों को जानते हैं.
Gangaur Vrat 2025: गणगौर व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह व्रत विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करती हैं. इसके अलावा, कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए आयोजित करती हैं. ‘गणगौर’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है – ‘गण’, जो भगवान शिव को दर्शाता है, और ‘गौर’, जो माता पार्वती का प्रतीक है.
Gangaur Vrat 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गणगौर व्रत 31 मार्च 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा. यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आयोजित किया जाता है. इस दिन महिलाएं शिव और पार्वती की पूजा करके सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करती हैं.
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Gangaur Vrat 2025:ऐसे करें माता पार्वती को प्रसन्न
- सुबह स्नान करने के बाद सुंदर पारंपरिक वस्त्र धारण करें और श्रृंगार करें.
- मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र की विधि अनुसार पूजा करें.
- सुहागिन महिलाएँ 16 श्रृंगार करके माता गौरी को सिंदूर, मेहंदी और चूड़ियाँ अर्पित करती हैं.
- मिट्टी या रेत से मां गौरी की मूर्ति बनाकर उन्हें जल अर्पित करें.
- ‘गोर गोर गोमती’ जैसे पारंपरिक लोकगीत गाना न भूलें.
- गणगौर व्रत की कथा सुनें, जिसमें शिव और पार्वती के विवाह की प्राचीन कहानी प्रस्तुत की जाती है.
- अगले दिन मां पार्वती की मूर्ति को जल में प्रवाहित कर विदाई दी जाती है, जो उनके मायके से ससुराल लौटने का संकेत है.
गणगौर व्रत का महत्व
- सुहागिन महिलाओं के लिए: पति की दीर्घायु और दांपत्य जीवन में सुख-शांति का आशीर्वाद.
- कुंवारी कन्याओं के लिए: इच्छित जीवनसाथी की प्राप्ति का आश्वासन.
- सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू: यह पर्व केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि महिलाओं के लिए आनंद और एकता का उत्सव है, जिसमें वे पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ जश्न मनाती हैं.
गणगौर कहां-कहां मनाई जाती है?
- गणगौर का पर्व विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अन्य कई राज्यों में उत्साह के साथ मनाया जाता है. राजस्थान में यह उत्सव अत्यंत भव्यता के साथ आयोजित किया जाता है, जहाँ महिलाएं आकर्षक परिधानों में सजी-धजी बारात निकालती हैं और समाज के सभी लोग इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं.
- गणगौर केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के प्रेम, समर्पण और आस्था का प्रतीक है. यह पर्व भारतीय संस्कृति में दांपत्य जीवन की महत्ता और स्त्री शक्ति के सम्मान को उजागर करता है. इस पावन अवसर पर सभी महिलाएं मां पार्वती की पूजा करती हैं और सुख-समृद्धि तथा अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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