Ganpati Visarjan 2025: घर पर गणपति विसर्जन कैसे करें ? जानें पूरी विधि

Ganesh Chaturthi 2025: देशभर में लोग गणेश चतुर्थी के पहले दिन धूमधाम से बैंड-बाजे बजाकर नाचते-गाते हुए भगवान गणेश का स्वागत करते हैं. ठीक उसी तरह उनकी विदाई भी की जाती है. आमतौर पर गणपति विसर्जन नदियों, तालाबों और समुद्र में किया जाता है, लेकिन अब कई लोग घरों में गणपति विसर्जन करने लगे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं घर पर गणपति विसर्जन करने के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

By Neha Kumari | August 29, 2025 2:16 PM

Ganpati Visarjan at home: गणेश चतुर्थी त्योहार हर साल भाद्रपद मास में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार 10 दिनों का होता है. इस उत्सव के दौरान श्रद्धालु भगवान गणपति की प्रतिमाओं को घर में स्थापित करते हैं और दस दिनों तक पूजा करते हैं. इस वर्ष इस त्योहार की शुरुआत 27 अगस्त 2025 में हुई है जो कि 7 सितंबर तक चलेगा. देशभर में जिस तरह गणेश चतुर्थी के पहले दिन लोग धूमधाम से ढोल-नगाड़ों के साथ भगवान गणेश का स्वागत करते हैं, ठीक उसी तरह उनका विसर्जन भी बहुत ही धूमधाम से किया जाता है. आमतौर पर गणपति विसर्जन नदियों, तालाबों और समुद्र में किया जाता है, लेकिन अब कई लोग घरों में गणपति विसर्जन करने लगे हैं. चलिए जानते हैं घर पर गणपति विसर्जन करने की सही विधि.

घर पर गणपति विसर्जन करने की विधि (Ganpati Visarjan at home)

सबसे पहले विसर्जन से पहले भगवान गणेश को विधिवत स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें फूल, दूर्वा, प्रसाद, मोदक का भोग अर्पित करें. फिर गणपति बप्पा की आरती करें और उनसे क्षमा याचना करें कि यदि पूजा-पाठ करते समय कोई चूक या गलती हो गई हो तो माफ कर दें. इसके बाद आप गणेश जी का जल से भरे एक स्वच्छ पात्र, बाल्टी या टब में स्थापित करें. ध्यान रखें कि यह पात्र घर के मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर रखा होना चाहिए. फिर आप मंत्रों का जाप करते हुए धीरे-धीरे गणपति की मूर्ति को जल में विसर्जित करें. इस दौरान “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” का जयघोष करें. ध्यान रखें कि मूर्ति को पूरी तरह पानी में घुलने दें.

विसर्जन के बाद क्या करना चाहिए?

एक बार जब भगवान गणपति की मूर्ति पूरी तरह से पानी में घुल जाए, तो उस पानी को घर के गमलों, बगीचे या किसी स्वच्छ स्थान पर डाल दें. इससे मिट्टी की मूर्ति पौधों के लिए खाद का कार्य करेगी और यह प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाएगी. अंत में भगवान गणेश को फिर से प्रणाम करें और अगले वर्ष फिर से आने के लिए आमंत्रण दें.

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