Dev Deepawali 2021 : कब है देव दीपावली ? शास्त्रों के अनुसार जानें क्या है स्नान और दान का सबसे उत्तम तरीका

कार्तिक पूर्णिमा को ही त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा इसलिए कहते हैं क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था. इसके बाद भगवान शिव को त्रिपुरारी के रूप में पूजा जाने लगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2021 10:58 AM

ऐसी मान्यता है कि देव दीपावली के दिन देवता अपनी प्रसन्नता को दर्शाने के लिए गंगा घाट पर आकर दीपक जलाते हैं. इसी कारण इस दिन को देव दीपावली के के नाम से जाना और मनाया जाता है.

इस तारीख को है देव दीपावली

इस वर्ष देव दीपावली 19 नवंबर के दिन मनाया जाएगा. श्रद्धालु भक्त 19 नवंबर के दिन गंगा घाट एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर दीप का दान करेंगे. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन कृतिका नक्षत्र में भगवान शिव के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान बना रहता है. इस दिन जब आकाश में जब चन्द्रमा उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

इस दिन बछड़ा दान का है महत्व

ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान या बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है. इस दिन व्यक्ति यदि उपवास रखे और भगवान भोलेनाथ का भजन गाए, शिव महिमा के गुणगान करे तो उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है.

इसी दिन भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार

इसी दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों की रक्षा के लिए और सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार लिया था. इस पूर्णिमा को महाकार्तिकी भी कहा गया है.

नक्षत्र के अनुसार बढ़ जाता है महत्व

इस पूर्णिमा के दिन भरणी नक्षत्र हो तो इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है. यदि रोहिणी नक्षत्र हो तो इस पूर्णिमा का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. और यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और बृहस्पति हों तो यह महापूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. साथ ही यदि कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो इससे पद्मक योग बनता है, जिसमें गंगा स्नान करने से पुष्कर से भी अधिक फल मिलता है.

स्नान-दान का है विशेष महत्व

ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, सरोवर स्नान, दीप दान करने से सांसारिक पाप का नाश होता है. इस दिन अन्न, धन एवं वस्त्र दान का बहुत महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करते हैं उसका कई गुणा लाभ मिलता है.

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हाथ में कुशा लेकर करें स्नान

शास्त्र अनुसार इस दिन स्नान करते समय पहले हाथ-पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें. इसी तरह दान करते समय हाथ में जल लेकर दान करें. वहीं यदि आप यज्ञ और जप कर रहे हैं तो पहले संख्या का संकल्प कर लें.

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