Chandra Grahan 2025 : आज रात दिखेगा साल का सबसे लंबा चंद्रग्रहण, बिहार में दोपहर 1 बजे से बंद रहेंगे मंदिर

Chandra Grahan 2025 : आसमान आज रात एक रहस्यमयी नजारा दिखाने वाला है. चांद धरती की छाया में छिपकर लाल रंग की आभा में चमकेगा और लोग देख पाएंगे ‘ब्लड मून’ का अद्भुत दृश्य, जो कई वर्षों बाद नजर आने वाला है. बिहार में भी दिखेगा पूरा ब्लड मून.

By Pratyush Prashant | September 7, 2025 7:52 AM

Chandra Grahan 2025: जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चांद तक पहुंचने से रोक देती है, तो चंद्रग्रहण होता है. पूर्ण चंद्रग्रहण में चांद पूरी तरह धरती की छाया में समा जाता है और तब उसका रंग लाल दिखने लगता है. आज का ग्रहण ठीक ऐसा ही होगा.

खगोलविदों के अनुसार इसकी शुरुआत रात 8 बजकर 58 मिनट पर होगी और यह रात 12 बजे तक चलेगा. कुल मिलाकर एक घंटा अट्ठाईस मिनट छह सेकेंड तक लोग इस अद्भुत नजारे को देख पाएंगे.

चंद्रग्रहण और ब्लड मून क्या है?

सात सितंबर, रविवार की रात भारतवासियों के लिए बेहद खास होने जा रही है. साल 2022 के बाद का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण आज दिखाई देगा. खगोलविदों का कहना है कि यह खगोलीय घटना देश के हर हिस्से से देखी जा सकेगी और इसके बाद इतना लंबा ग्रहण देखने के लिए लोगों को 31 दिसंबर 2028 तक इंतजार करना पड़ेगा.

इस दौरान चांद पूरी तरह से धरती की छाया में रहेगा और लाल रंग की रहस्यमयी आभा में जगमगाएगा. इसी वजह से इसे ब्लड मून भी कहा जाता है.

कहां-कहां दिखेगा आज चंद्रग्रहण?

भारत के अलावा एशिया,ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और पूर्वी अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में भी यह खगोलीय घटना दिखाई देगी. हालांकि उत्तर और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश भागों में इसका नजारा नहीं देखा जा सकेगा.

भारत के सभी बड़े शहरों—दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, पटना और रांची समेत लगभग हर हिस्से से यह साफ नजर आएगा.

बिहार में सूतक काल और धार्मिक परंपराएं

पटना, गया, दरभंगा, भागलपुर, रांची से सटे सीमावर्ती इलाकों समेत पूरे बिहार में रविवार दोपहर 1 बजे से सूतक काल लग जाएगा. परंपरा के अनुसार सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दौरान देव पूजन, भोजन और स्पर्श वर्जित होता है.

पुजारियों और ज्योतिषाचार्यों ने लोगों से अपील की है कि ग्रहण के दौरान जप, ध्यान और दान करें. ग्रहण समाप्ति के बाद गंगा स्नान, शुद्धि और देव प्रतिमाओं का अभिषेक करने की परंपरा है.

पितृ पक्ष और चंद्रग्रहण का दुर्लभ संयोग

इस बार का पूर्ण चंद्रग्रहण और भी खास हो गया है क्योंकि यह पितृ पक्ष के दौरान पड़ रहा है. धार्मिक मान्यता है कि इस काल में श्रद्धा और भक्ति के साथ तर्पण, पिंडदान और दान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है. माना जाता है कि जब पितर संतुष्ट होते हैं, तो उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति आती है.

बिहार इस बार चंद्रग्रहण के कारण पितृ पक्ष का महत्व और भी बढ़ गई है. ग्रामीण इलाकों में लोग तालाबों और नदियों के किनारे विशेष तर्पण की व्यवस्था कर रहे हैं. कई जगहों पर सामूहिक दान और भंडारा आयोजित किए जा रहे हैं. गया, पटना, दरभंगा, पूर्णिया और भागलपुर जैसे जिलों में गंगा तटों पर भीड़ जुटने की संभावना है.

बिहार में कहां-कहां दिखेगा नजारा

राज्य के सभी हिस्सों—पटना, गया, भागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और सीमांचल के जिलों से लोग इस खगोलीय घटना को साफ-साफ देख पाएंगे. मौसम साफ रहने पर ग्रामीण इलाकों से यह नजारा और भी खूबसूरत दिखाई देगा. खगोल विज्ञान से जुड़े लोग इसे दूरबीन और कैमरे में कैद करने की तैयारी में हैं.

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