Bhairav Ashtami 2025: आज भैरव अष्टमी पर इन सरल उपायों से प्रसन्न होंगे कालभैरव, जानिए भैरव चालीसा पाठ के लाभ
Bhairav Ashtami 2025: हर साल मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. मान्यता अनुसार इस दिन किए गए कुछ सरल उपाय जीवन में बाधाओं से मुक्ति दिला सकते हैं. आइए जानते हैं कौन से है वो शुभ उपाय.
Bhairav Ashtami 2025: भैरव अष्टमी का यह दिन भक्तों के लिए विशेष अवसर माना जाता है, जब वे अपने जीवन की नकारात्मकता, भय और बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं. लोगों का ऐसा विश्वास है कि जो व्यक्ति इस तिथि पर सच्चे मन से भैरव बाबा की पूजा करता है और नियमपूर्वक व्रत रखता है, उसके जीवन से हर प्रकार का संकट दूर हो जाता है. इस दिन किए गए छोटे-छोटे उपाय भी बड़ा प्रभाव दिखाते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं.
काले कुत्ते को भोजन कराएं
भैरव बाबा का वाहन काला कुत्ता माना जाता है. इसलिए ज्योतिष के अनुसार इस दिन किसी काले कुत्ते को रोटी खिलाना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से राहु-केतु से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं और घर में शांति बनी रहती है.
सरसों के तेल का दीपक जलाएं
भैरव मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है. यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है और व्यक्ति को आत्मविश्वास प्रदान करता है. दीपक जलाते समय “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप अवश्य करें.
भैरव चालीसा का पाठ करें
रात्रि के समय भैरव चालीसा या ‘कालभैरव अष्टक’ का पाठ करने से भय, रोग और शत्रु नष्ट होते हैं. इस उपाय से मन की शांति और आत्मबल दोनों बढ़ते हैं.
शराब और मांस का त्याग करें
भैरव अष्टमी पर संयम और शुद्धता का पालन बहुत आवश्यक माना गया है. इस दिन किसी भी तरह का नशा या मांसाहार नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से भैरव बाबा की कृपा बनी रहती है.
भैरव मंदिर में नारियल या काले तिल चढ़ाएं
भैरव मंदिर में नारियल, सिंदूर, या काले तिल अर्पित करने से धन संबंधी रुकावटें दूर होती हैं. यह उपाय व्यापार में उन्नति और नौकरी में तरक्की के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है.
भैरव अष्टमी महत्व
भैरव अष्टमी का हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष महत्व है. यह तिथि भगवान शिव के उग्र रूप “कालभैरव” के प्रकट होने का दिन मानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने अहंकारवश शिव का अपमान किया, तब भगवान शिव ने क्रोधित होकर भैरव रूप धारण किया और ब्रह्मा जी के पाँचवे सिर का नाश किया. उसी दिन से यह तिथि “भैरव अष्टमी” के रूप में जानी जाती है.
आज के दिन क्या करें
मान्यता है की जो भक्त इस दिन श्रद्धा से भैरव चालीसा, कालभैरव अष्टक, या “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करते हैं, उन्हें कालभैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन की गई साधना और दान-पुण्य से पापों का नाश होता है और सभी दिशाओं से शुभ फल प्राप्त होते हैं.
क्या महिलाएं भी भैरव अष्टमी का व्रत रख सकती हैं?
हां, महिलाएं भी भैरव जी की पूजा और व्रत रख सकती हैं, इससे उन्हें मानसिक शक्ति और सुरक्षा मिलती है.
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