Ashadha Amavasya 2025 के दिन भूलकर भी न करें ये काम, जीवन में पढ़ेगा दुष्प्रभाव

Ashadha Amavasya 2025 : आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर होता है. इस दिन व्रत, तर्पण, दान तथा ध्यान का विशेष महत्व है, लेकिन कुछ कार्यों से पूर्ण रूप से बचना चाहिए.

By Ashi Goyal | June 17, 2025 7:38 PM

Ashadha Amavasya 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है. यह तिथि पितृ कार्य, दान-पुण्य, और तीर्थ स्नान के लिए अत्यंत पुण्यकारी मानी गई है. मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्यों से पितरों को शांति मिलती है, लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस दिन करने से जीवन में संकट, दरिद्रता और पितृदोष का प्रभाव बढ़ सकता है. अतः आषाढ़ अमावस्या पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए:-

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– झगड़ा या अपवित्र वाणी का प्रयोग न करें

आषाढ़ अमावस्या पर घर में कलह, वाद-विवाद या अपवित्र वाणी का प्रयोग पितरों का अनादर माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन घर में पॉजिटिव एनर्जी बनाए रखना चाहिए, अन्यथा पितृदोष और मानसिक क्लेश का सामना करना पड़ सकता है.

– मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से करें परहेज

इस दिन मांसाहार, मदिरा सेवन तथा तामसिक भोजन का सेवन अत्यंत निषिद्ध माना गया है. यह पवित्र दिन पितरों को समर्पित होता है, अतः सात्विक आचरण एवं आहार का पालन करें. तामसिकता जीवन में अशुद्धता और दुर्भाग्य को आकर्षित करती है.

– पवित्र नदी या तीर्थ स्नान किए बिना पिंडदान न करें

यदि आप पिंडदान या तर्पण करना चाहते हैं, तो पहले पवित्र स्नान करना आवश्यक है. बिना स्नान या अशुद्ध अवस्था में किए गए पितृ कार्य फलदायी नहीं होते, अपितु पितृ क्रोध का कारण बन सकते हैं.

– पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाएं

आषाढ़ अमावस्या पर वृक्षों, विशेषकर पीपल और तुलसी के पौधे को क्षति पहुँचाना पाप तुल्य माना गया है. शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन वृक्षों में देवताओं और पितरों का वास होता है. अतः इनकी पूजा करें, जल अर्पित करें, और रक्षा का संकल्प लें.

– चंद्रदर्शन और नख कटवाना न करें

अमावस्या तिथि पर चंद्रमा दृष्टिगोचर नहीं होता, इसलिए इस दिन चंद्रदर्शन वर्जित होता है. साथ ही, नाखून, बाल आदि कटवाने जैसे कार्य अशुभ माने जाते हैं. ये कार्य करने से मानसिक अशांति और आध्यात्मिक दोष उत्पन्न हो सकते हैं.

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आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर होता है. इस दिन व्रत, तर्पण, दान तथा ध्यान का विशेष महत्व है, लेकिन कुछ कार्यों से पूर्ण रूप से बचना चाहिए. इन धार्मिक मर्यादाओं का पालन करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और पितृ आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.