Apara Ekadashi 2020: अपरा एकादशी आज, जानिए पूजा की विधि व शुभ मुहूर्त

Apara Ekadashi 2020: एकादशी व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए रखा जाता है. सभी व्रतों में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सर्व श्रेष्ठ माना गया है. इस एकादशी को अचला एकादशी, अपरा एकादशी, भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म में यह उपवास अत्यधिक पवित्र और मोक्ष प्राप्त करने का उत्तम माध्यम माना जाता है.

By Radheshyam Kushwaha | May 18, 2020 7:11 AM

एकादशी व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए रखा जाता है. सभी व्रतों में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सर्व श्रेष्ठ माना गया है. इस एकादशी को अचला एकादशी, अपरा एकादशी, भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म में यह उपवास अत्यधिक पवित्र और मोक्ष प्राप्त करने का उत्तम माध्यम माना जाता है. पंचांग के अनुसार 17 मई को दशमी तिथि है. जो 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. इसके बाद से ही एकादशी की तिथि का आरंभ हो जाएगा. अपरा एकादशी की पूजा 18 मई को ही होगी. लेकिन व्रत का आरंभ 17 मई से ही हो जाएगा.

इस दिन का व्रत पूर्ण व्रत नहीं माना जाएगा. क्योंकि व्रत का संकल्प पूजा से पूर्व यानि 18 मई को ही लिया जाएगा. इस दिन मां भद्रकाली की पूजा के लिए सबसे अनुकूल है. ओडिशा में इस दिन को जलक्रीड़ा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. अतीत और वर्तमान में हुए पाप को दूर करने के लिए यह एकादशी व्रत किया जाता है. अपरा एकादशी का जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें आज से ही यानि 17 मई से अनुशासन और संयम का पालन करना होगा. एकादशी का व्रत बहुत ही पवित्र माना गया है. इसलिए इसमें कठिन नियमों का पालन करना बताया गया है. नियमों का पालन करने से ही इस व्रत का पूर्ण लाभ मिलता है.

ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष एकादशी को माता भद्रकाली प्रकट हुईं. यह भी माना जाता है कि प्रभु श्रीराम से हनुमान जी की मुलाकात भी ज्येष्ठ माह में ही हुई थी. इस एकादशी पर उपवास कर भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत के प्रभाव से प्रेत बाधा कभी परेशान नहीं करती. घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है. एकादशी के दिन सुबह नित्यकर्म के बाद नए वस्त्र धारण कर पूजा करें. मन की सात्विकता का विशेष ध्यान रखें. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. एकादशी की रात्रि में जागरण अवश्य करें. इस व्रत में सत्संग में अपना समय व्यतीत करें. द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को अन्न दान व दक्षिणा देकर व्रत को संपन्न करना चाहिए.

व्रत आरंभ करने की विधि

एकादशी तिथि का आरंभ होने के बाद शाम के समय भगवान विष्णु की आरती करें. अगले दिन सुबह से विधिवत व्रत का आरंभ करें. 18 मई को सुबह स्नान करने के बाद पूजा करें और व्रत आरंभ करें. इस दिन अन्न का त्याग करना होता है.

अपरा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि का आरंभ: 17 मई 2020 को 12:44 बजे

एकादशी तिथि का समापन: 18 मई 2020 को 15:08 बजे

अपरा एकादशी पारण समय: 19 मई 2020 को प्रात: 05:27:52 से 08:11:49 बजे तक

अवधि: 2 घंटे 43 मिनट

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