Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी पर तारों को देखने के बाद ही क्यों होता है व्रत पूर्ण? जानिए इसकी धर्मिक मान्यता

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी पर माताएं पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं, और शाम में तारों को देखने के बाद व्रत खोलती हैं. लेकिन तारों को देखना क्यों माना जाता है शुभ? आइए जानते हैं धार्मिक मान्यता.

By JayshreeAnand | October 11, 2025 3:01 PM

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और कल्याण की कामना करते हुए व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी का पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद पड़ता है, इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर को है. दिन के अंत में माताएं तारे को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं.

क्यों देखे जाते हैं तारें?

अहोई अष्टमी के दिन तारों को जल अर्पित करने की परंपरा का अर्थ यह है कि जैसे आकाश में तारे हमेशा चमकते हैं, वैसे ही हमारे परिवार के बच्चे स्वस्थ और दीर्घायु हों. माता अहोई की आराधना के बाद तारों को जल अर्पित किया जाता है, क्योंकि इन्हें माता अहोई का प्रतीक या उनका वंशज माना जाता है. इस रीति से बच्चों के भविष्य की उज्ज्वलता और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कामना की जाती है.

इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी इस बार 13 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 14 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर होगा. इस दिन पूजन का मुहूर्त शाम 5 बजकर 53 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 08 मिनट तक है.

अहोई अष्टमी कब मनाई जाती है?

अहोई अष्टमी हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाई जाती है.

अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के कितने दिन बाद आता है?

यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद पड़ता है.

अहोई अष्टमी पर कौन सा मंत्र जपा जाता है?

इस दिन “ॐ पार्वतीप्रिय-नंदनाय नमः” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है.

इस व्रत से क्या लाभ होता है?

व्रत करने से संतान की लंबी उम्र, सुख-शांति और संतान से जुड़ी परेशानियों का निवारण होता है.

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