Vijaya Ekadashi Puja 2020: पढ़ें विजया एकादशी का महत्व और पूजा का शुभ समय, आज भूल के भी नहीं करें ये काम

Vijaya Ekadashi Vart 2020 : विजया एकादशी का व्रत आज है. शास्त्रों में भगवान श्री विष्णु वेंकटेश्वर की साधना-आराधना के लिए समर्पित एकादशी तिथि का सनातन परंपरा में विशेष फलदायी महत्व बताया गया है. यह एकादशी सब पापों का हरण करनेवाली है. यह व्रत बहुत ही प्राचीन व पवित्र है. यह एकादशी समस्त कार्यों में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2020 7:58 AM

Vijaya Ekadashi Vart 2020 : विजया एकादशी का व्रत आज है. शास्त्रों में भगवान श्री विष्णु वेंकटेश्वर की साधना-आराधना के लिए समर्पित एकादशी तिथि का सनातन परंपरा में विशेष फलदायी महत्व बताया गया है. यह एकादशी सब पापों का हरण करनेवाली है. यह व्रत बहुत ही प्राचीन व पवित्र है. यह एकादशी समस्त कार्यों में विजय कराती है. पूर्वकाल में श्री रामचंद्रजी, माता सीता व लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वन में गये और पंचवटी में रहने लगे. वहीं से रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. श्रीरामजी ने लंका को प्रस्थान करने का विचार किया और लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय पूछा.

लक्ष्मण बोले- आप ही आदि देव पुराण पुरुषोत्तम हैं. आपसे क्या छिपा है? एक बकदाल्भ्य मुनि हैं. उन्हीं से उपाय पूछते हैं. लक्ष्मण सहित सारी सेना के साथ रामजी बकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में गये. पूछने पर मुनि ने कहा- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी का व्रत करने से आपकी विजय होगी. आप अपनी वानर सेना के साथ समुद्र पार कर लेंगे. मुनि के कथनानुसार, प्रभु श्रीराम ने इस एकादशी का व्रत किया. इस व्रत को करने से श्रीरामजी की लंका पर विजय हुई. उन्होंने संग्राम में रावण सहित सभी राक्षसों को मारा और सीताजी को प्राप्त किया.

ऐसे करें पूजन
विजया एकादशी में प्रात: काल स्नानादि के बाद श्रीमन्नारायण की यथाशक्ति पूजन करें. गंध, धूप, दीप व भांति-भांति के नैवेद्यों से पूजन करें. ऐसा कहा जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी विजय प्राप्त कर सकता है. इस व्रत का उल्लेख पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से बड़े से बड़े शत्रु से विजय पाई जा सकती है.

क्या नहीं करना चाहिए
विजया एकादशी पर रात भर भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए. विजया एकादशी पर जल और अन्न नहीं लिया जाता. विष परिस्थियों में फल खाया जा सकता हैं और यदि नहीं रह सकते तो जल भी पी सकते हैं. एकादशी के दिन न चावल नहीं बनाना चाहिए और न ही खाना चाहिए. इस दिन किसी भी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करवाना चाहिए.

जाने समय
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 18 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर हो रहा है, जो 19 फरवरी दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. एकादशी व्रत बुधवार को रखा जाएगा और पारण अगले दिन सुबह किया जाएगा. विजया एकादशी व्रत के पारण का समय गुरुवार को सुबह 06 बजकर 56 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक है.

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