शुभ संयोग लेकर आया है इस बार करवा चौथ, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

"दैवज्ञ"डॉ श्रीपतित्रिपाठी, ज्योतिर्विद इस वर्ष करवा चौथ का व्रत बहुत ही शुभ संयोग लेकर आया है. इस दिन रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होगा. ऐसा संयोग दुर्लभ माना जाता कार्तिक मास की चतुर्थी को मनाया जाता है करवा चौथ का त्योहार 17 अक्टूबर गुरुवार को करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 17, 2019 7:26 AM

"दैवज्ञ"डॉ श्रीपतित्रिपाठी, ज्योतिर्विद

इस वर्ष करवा चौथ का व्रत बहुत ही शुभ संयोग लेकर आया है. इस दिन रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होगा. ऐसा संयोग दुर्लभ माना जाता कार्तिक मास की चतुर्थी को मनाया जाता है करवा चौथ का त्योहार 17 अक्टूबर गुरुवार को करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी और चांद का दीदार करने के बाद ही अपना व्रत तोडेंगी. इस बार करवा चौथ का महत्व इसलिए और बढ़ रहा है क्योंकि इस साल करवा चौथ पर एक विशेष संयोग बन रहा है. यह संयोग 70 साल बाद बन रहा है. इस बार चतुर्थी तिथि 16 अक्टूबर को रात्रि 05:20 पर चतुर्थी तिथि लग रही है. अगले दिन 17 अक्टूबर को चतुर्थी तिथि सुबह 05:29 तक है. विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं.

महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रख कर शाम को चांद को अर्घ्य देकर व्रत को तोड़ती हैं. इस बार चांद 8:18 पर निकलेगा. अगर आपव्रत की कहानी सुनना चाहती हैं और पूजा करना चाहती हैं तो शाम 5:50 से 7:06 तक कर सकती हैं. पूजा के लिए यह शुभ मुहूर्त है. कुल मिलाकर एक घंटे 15 मिनट का मुहूर्त है.

शाम 5:50 से 7:06: ये मुहूर्त एक घंटे 15 मिनट का है.

सुबह 6:21 से रात 8:18 तक: उपवास का समय 13 घंटे 56 मिनट है.

चांद निकलने का समय: 8:18 रात
इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना अधिक मंगलकारी बना रहा है. यह योग बहुत ही मंगलकारी है और इस दिन व्रत करने से सुहागिनों को व्रत का फल मिलेगा।इस दिन चतुर्थी माता और गणेश जी की भी पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां व्रत रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखमय होता है. वैसे तो पूरे देश में इस त्यौहार को बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

धार्मिक आधार

धार्मिक आधार पर देखें तो कहा जाता है कि चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप है. एक मान्यता यह भी है कि चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है और चांद की पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है. साथ ही चद्रंमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी होता है, यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था पर अत्यधिक भूख की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी थी, जिसे देखकर साहूकार के बेटों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा लेकिन साहूकार की बेटी ने खाना खाने से मना कर दिया. भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है. बहन ने भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गई और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी. तब से अपने हाथ में छलनी लेकर बिना छल-कपट के चांद को देखने के बाद पति के दीदार की परंपरा शुरू हुई.

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