#HappyJanmashtami : जीवन जीने की कला सिखाती हैं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं

भगवान श्रीकृष्ण के कई रूप हैं और अलग-अलग जगहों पर उन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है. गोपाल, गोविंद, लड्डू गोपाल, श्रीनाथजी, ठाकुरजी, विट्ठल, वेंकटेश आदि कई नाम हैं उनके. पूरे भारत में वह समान रूप से लोकप्रिय हैं. अपनी लीलाओं और अलग-अलग रूपों के जरिये उन्होंने दुनिया को संदेश दिया. श्रीमद भागवत गीता में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 23, 2019 9:02 AM

भगवान श्रीकृष्ण के कई रूप हैं और अलग-अलग जगहों पर उन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है. गोपाल, गोविंद, लड्डू गोपाल, श्रीनाथजी, ठाकुरजी, विट्ठल, वेंकटेश आदि कई नाम हैं उनके. पूरे भारत में वह समान रूप से लोकप्रिय हैं. अपनी लीलाओं और अलग-अलग रूपों के जरिये उन्होंने दुनिया को संदेश दिया. श्रीमद भागवत गीता में अर्जुन को दिया गया उनका उपदेश अदभुत है. उनकी हर लीला में कोई न कोई संदेश छुपा है, जो आज भी प्रासंगिक है. आइए, जानते हैं, श्रीकृष्ण से हम-आप क्या सीख सकते हैं.

अन्याय के खिलाफ युद्ध
भगवान श्रीकृष्ण ने कौरव-पांडवों की लड़ाई में न्याय का साथ दिया. इसमें उन्हें अपनों के खिलाफ भी युद्ध में खड़ा होना पड़ा. बुरे से बुरा वक्त में भी पांडवों के साथ खड़े रहे, यह जानते हुए भी पांडव सैन्य शक्ति में कौरवों से कमजोर थे. उन्होंने बचपन में ही पूतना, शकटासुर, कालिया आदि का वध किया.

कर्म पर जोर
भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म करने की सीख दी. कहा, भविष्य की चिंता छोड़ कर वर्तमान में कर्म पर ध्यान देना चाहिए. कर्म प्रधान व्यक्ति हर हाल में फूलते फलते हैं. विपरीत परिस्थितियों में भी वे हर समस्या का समाधान निकाल लेते हैं और ये गुण ही उन्हें सफल बनाता है.

दोस्ती का निर्वाह
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है. जब गरीब सुदामा राजा श्रीकृष्ण के दरबार में आते हैं तो वह न केवल गले लगाते हैं, बल्कि हर तरह से उनकी मदद भी करते हैं. यह उनका संदेश था कि मित्रता के रास्ते में ओहदा को आड़े नहीं आना चाहिए.

कूटनीति का ज्ञान
महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने कई बार कूटनीति का सहारा लिया. धर्म और न्याय के पक्ष में ऐसा करना जरूरी भी था. दरअसल उन्होंने सिखाया किजब सीधे रास्‍ते मंजिल मुश्किल लगे तो कूटनीति का इस्तेमाल भी करना चाहिए.

रिश्तों का महत्व
श्री कृष्ण देवकी के पुत्र थे, लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया था. उन्होंने दोनों माताओं को जीवन में समान महत्व दिया.

प्रेम का महत्व
भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं के जरिये प्रेम की पवित्र परिभाषा गढ़ी. उन्होंने प्रेम और दोस्ती निभाने का संदेश दिया. यह उनका सखा रूप था. राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है. बाद में गोपियों से एक अलग और पवित्र संबंध बनाया.

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