#WorldPoetryDay : हृदय से हृदय का संवाद है कविता …

कविता कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति है, यह हृदय से हृदय का संवाद है. आज विश्व कविता दिवस के मौके पर इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि कविता संप्रेषण का सशक्त माध्यम है. लेकिन आज कविताओं के महत्व और स्तर दोनों में गिरावट दिखती है. आम पाठक कविताओं को पढ़ना नहीं चाहता और कवियों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 21, 2018 5:40 PM

कविता कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति है, यह हृदय से हृदय का संवाद है. आज विश्व कविता दिवस के मौके पर इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि कविता संप्रेषण का सशक्त माध्यम है. लेकिन आज कविताओं के महत्व और स्तर दोनों में गिरावट दिखती है. आम पाठक कविताओं को पढ़ना नहीं चाहता और कवियों को महत्व नहीं देता, ऐसे में आज विश्व कविता दिवस के मौके पर यह जरूरी है कि हम कविता के महत्व को समझें और उसके अस्तित्व को सहजता से स्वीकार करें. आज विश्व कविता दिवस के मौके पर पढ़ें समकालीन हिंदी के दिग्गज कवि केदारनाथ सिंह की दो कविताएं, जो उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप है क्योंकि परसों 19 तारीख को रात में उनका निधन हुआ और कल उनका अंतिम संस्कार किया गया था.

तुम आयीं
तुम आयीं
जैसे छीमियों में धीरे- धीरे
आता है रस
जैसे चलते – चलते एड़ी में
काँटा जाए धँस
तुम दिखीं
जैसे कोई बच्चा
सुन रहा हो कहानी
तुम हँसी
जैसे तट पर बजता हो पानी
तुम हिलीं
जैसे हिलती है पत्ती
जैसे लालटेन के शीशे में
काँपती हो बत्ती !
तुमने छुआ
जैसे धूप में धीरे- धीरे
उड़ता है भुआ
और अन्त में
जैसे हवा पकाती है गेहूँ के खेतों को
तुमने मुझे पकाया
और इस तरह
जैसे दाने अलगाये जाते है भूसे से
तुमने मुझे खुद से अलगाया ।
नए कवि का दुख
दुख हूँ मैं एक नये हिन्दी कवि का
बाँधो
मुझे बाँधो
पर कहाँ बाँधोगे
किस लय, किस छन्द में?
ये छोटे छोटे घर
ये बौने दरवाजे
ताले ये इतने पुराने
और साँकल इतनी जर्जर
आसमान इतना जरा सा
और हवा इतनी कम कम
नफरत यह इतनी गुमसुम सी
और प्यार यह इतना अकेला
और गोल -मोल
बाँधो
मुझे बाँधो
पर कहाँ बाँधोगे
किस लय , किस छन्द में?
क्या जीवन इसी तरह बीतेगा
शब्दों से शब्दों तक
जीने
और जीने और जीने ‌‌और जीने के
लगातार द्वन्द में?

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