India China Relations : ड्रैगन और हाथी अगर साथ आए, तो परेशानी में आ सकता है अमेरिका

India China Relations : विश्व की दो पुरानी सभ्यताएं, जिनका संबंध प्राचीन काल में बेहतर था, अगर वे साथ आ जाएं, तो दुनिया पर क्या असर होगा? क्या अभी जो लोग विश्व के ठेकेदार बनकर बैठे हैं, उनकी सत्ता हिल सकती है? यह सवाल इसलिए कि ट्रंप टैरिफ के दबाव के बीच भारत और चीन ने नए संबंधों की शुरुआत की है. हालांकि भारत और चीन के संबंध इतने उलझे हुए हैं कि अभी इसपर निर्णय की स्थिति में पहुंचना बहुत जल्दबाजी होगी, बावजूद इसके संभावनाओं की तलाश शुरू हो गई है.

By Rajneesh Anand | August 31, 2025 6:12 PM

India China Relations : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज जिस तरह मिले हैं और संबंधों की नई शुरुआत हुई है, अगर यह स्थिति बनी रही तो बेशक विश्व में शक्ति का समीकरण कुछ बदलेगा. भारत और चीन दो ऐसे देश है जो ना सिर्फ मजबूत अर्थव्यवस्था हैं, बल्कि जनसंख्या के लिहाज से भी महाशक्ति हैं. दोनों देशों की कुल आबादी 2.8 अरब से अधिक है. जिनपिंग और मोदी दोनों नेताओं ने संबंध बेहतर बनाने और उसे स्थायी तौर पर बनाए रखने पर जोर दिया है. जिनपिंग ने तो यह भी कहा है कि भारत और चीन को एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बनाने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए भी काम करना चाहिए.

बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बन सकती है

अभी विश्व पर अमेरिका का आधिपत्य है, जबकि शीतयुद्ध के समय विश्व दो ध्रुवीय व्यवस्था में बंटा था. एक गुट अमेरिका की ओर जबकि दूसरा सोवियत रूस की ओर था. भारत और चीन अगर साथ आए तो बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बन सकती है. भारत और चीन क्योंकि दोनों जनसंख्या और अर्थव्यवस्था में वैश्विक प्रभाव रखते हैं. चीन की औद्योगिक शक्ति और भारत की कृषि क्षमता का संयोजन पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है. ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों पर सहयोग से विकासशील देशों की आवाज बढ़ेगी, जिससे अमेरिका की शक्ति कम हो सकती है. भारत-चीन अगर आपसी तनाव को कम कर लें तो वैश्विक व्यापार और शांति को बढ़ावा मिलेगा. यह भी संभव है कि रूस-भारत-चीन एक नया वैश्विक समीकरण बना दें.

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव घटेगा

भारत और चीन के साथ आने से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संबंधों की नई शुरुआत होगी. भारत और चीन के बीच तनाव की वजह से वर्तमान में दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में क्षेत्रीय असुरक्षा का माहौल दिखता है. अगर दोनों देश के संबंध बेहतर हुए तो समुद्री व्यापार मार्ग सुरक्षित होंगे, जो क्षेत्र के 60% वैश्विक व्यापार को समर्थन देते हैं. क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा कम होगी, जिससे सैन्यीकरण का दबाव घटेगा. हालांकि यह काम बहुत चुनौतीपूर्ण है, लेकिन संभावनाएं हैं कि यह संभव है.

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