‘मन की बात’ से रेडियो के प्रति रुचि बढ़ी

आकाशवाणी और दूरदर्शन सरकार द्वारा संचालित लोक प्रसारण के घटक हैं. पूरे देश में आज भी इन दो सेवाओं की अपनी एक अलग पहचान और पहुंच है. जहां कोई अन्य मनोरंजन एवं सूचना के साधन न हों, वहां ये दो सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं. इनकी अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्ता के बावजूद सरकारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 16, 2015 5:13 AM
आकाशवाणी और दूरदर्शन सरकार द्वारा संचालित लोक प्रसारण के घटक हैं. पूरे देश में आज भी इन दो सेवाओं की अपनी एक अलग पहचान और पहुंच है. जहां कोई अन्य मनोरंजन एवं सूचना के साधन न हों, वहां ये दो सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं. इनकी अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्ता के बावजूद सरकारी उदासीनता के कारण विशेष कर आकाशवाणी को क्षति पहुंची है.
आकाशवाणी केंद्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, पर गुणात्मक दृष्टि से कमी आयी है. नियमित रिकॉर्डिंग नहीं होती है और श्रोता पुनर्प्रसारण के कारण आकाशवाणी से जुड़ नहीं पा रहे हैं. प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम से लोगों में रेडियो के प्रति फिर एक बार रुचि पैदा कर पाने में सक्षम दिख रहे हैं पर श्रोताओं के लिए मनभावन कार्यक्रमों को प्रसारित करने की जरूरत है.
मनोज आजिज, ई-मेल से

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