आ गये वसंत के दिन

क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार अब सर्दी जा रही है, इसकी घोषणा वसंत पहले ही आकर कर चुका है. अब सर्दी के मौसम में उससे जुड़ी चीजें जैसे- मूंगफली, गजक, रेवड़ी की महिमा खत्म हो रही है. इन्हें बेचनेवाले अब खरबूजा, तरबूज, खीरे, बेल शरबत और आइसक्रीम के बारे में सोच रहे हैं. पेड़-पौधों पर नयी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 7, 2018 4:35 AM

क्षमा शर्मा

वरिष्ठ पत्रकार

अब सर्दी जा रही है, इसकी घोषणा वसंत पहले ही आकर कर चुका है. अब सर्दी के मौसम में उससे जुड़ी चीजें जैसे- मूंगफली, गजक, रेवड़ी की महिमा खत्म हो रही है. इन्हें बेचनेवाले अब खरबूजा, तरबूज, खीरे, बेल शरबत और आइसक्रीम के बारे में सोच रहे हैं.

पेड़-पौधों पर नयी कोपलों-फूलों के रूप में नयी पीढ़ी दस्तक दे रही है. लाल, पीले, गुलाबी, हरे, नीले न जाने कितने रंगों के इंद्रधनुष हर जगह लहरा रहे हैं. और वसंत क्या सिर्फ पेड़-पौधों पर आया है?

अपने साहित्य में ऋतुराज कहे जानेवाले इस मौसम ने पक्षियों में भी नयी ऊर्जा भर दी है. कल तक सर्दी के कारण देर तक वे कहीं दुबके रहते थे. कोई आवाज तक सुनायी नहीं देती थी. अब जैसे ही रसोई की लाइट जलाती हूं, अचानक खिड़की पर कई पंख पड़फड़ाने लगते हैं.

पता चलता है कि दो कबूतर आये हैं अथवा तीन तोते और दो गुरसलें. एक कौवा भी खिड़की के शीशे पर उलटा लटककर अक्सर कांव-कांव करता है, जैसे शिकायत कर रहा हो कि अब तक कहां थीं‍? इतनी देर से भूख लगी है और खाने को कुछ नहीं! और गौरैया मैडम की तो बात पूछिए ही मत. वह जब अपने चिड़ा के साथ आती हैं, तो सिर्फ दाना ही नहीं खातीं, अपनी चोंच फाड़कर या पीछा करके अपने से कई गुने बड़े कौवे को भगा देती हैं. छोटे पक्षी बड़े पक्षियों के मुकाबले जल्दी उड़ते हैं. इसलिए वे अकसर हमलावर भी हो जाते हैं और बड़े पक्षी उनसे डरकर भाग जाते हैं.

रसोई की खिड़की से मैं बाजरा डालती हूं. कौवे के लिए अलग से रोटी रखती हूं. घर में दो गुलाब जामुन बचे हैं, उन्हें भी रख देती हूं. कौवे का चुनाव देखिए- वह सबसे पहले दो ही बार में चोंच में भरकर गुलाब जामुन ले उड़ता है. शायद अपने बच्चों को पार्टी दे रहा होगा. फिर बिस्कुट उठा ले जाता है. रोटी के टुकड़ों पर कबूतर टूट पड़ते हैं. जितना खाते हैं, उससे ज्यादा नीचे गिरा रहे हैं.

ठहरिए, जहां नीचे घास में रोटी के टुकड़े या बाजरे के दाने उछलकर गिर रहे हैं, वहां उन्हें लपकने के लिए गिलहरियों की सेना पहले से ही मौजूद है. वे हाथों में भरकर रोटी के मजे ले रही हैं और मुंह से आवाज निकालते हुए चंवरनुमा अपनी पूंछ तेजी से हिला रही हैं.

इनसे जो कुछ बचेगा, वह चींटियों और अन्य कीड़े-मकोड़ों के काम आयेगा.

उधर रंग-बिरंगी तितलियां फूलों के पास आती हैं और उनका स्पर्श कर दूर उड़ जाती हैं. यह भी एक अनोखी किस्म की प्रणय लीला है. वसंत तो इसके लिए है ही मशहूर. आखिर वैलेंटाइन डे भी आने ही वाला है.

अपने यहां वसंत को सेलिब्रेट करने और प्रेम को व्यक्त करने के लिए ही तो मदनोत्सव मनाया जाता था. इस उत्सव के प्रमुख देवता कामदेव माने जाते हैं. इन्हीं देवता की कृपा है कि मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे और पक्षी तक मतवाले हुए जा रहे हैं. वे अपने-अपने सुरों में गा रहे हैं. आइए, हम भी गायें. एक-दूसरे को प्रेम का संदेश दें. यही हमारे जीवन का वसंत है.

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