छंटनी के साये

सूचना-प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र रोजगार के अवसरों के लिहाज से इस साल उदास करनेवाला रहा. अब तक इस सेक्टर में 56 हजार कर्मचारियों ने नौकरी गंवायी है. फिलहाल 160 अरब डाॅलर के आइटी उद्योग में 40 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार हासिल है और इस हिसाब से एक साल में छंटनी की संख्या बहुत ज्यादा कही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 29, 2017 6:43 AM

सूचना-प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र रोजगार के अवसरों के लिहाज से इस साल उदास करनेवाला रहा. अब तक इस सेक्टर में 56 हजार कर्मचारियों ने नौकरी गंवायी है. फिलहाल 160 अरब डाॅलर के आइटी उद्योग में 40 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार हासिल है और इस हिसाब से एक साल में छंटनी की संख्या बहुत ज्यादा कही जायेगी.

जानकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में रोजगार की कमी 2008 के वित्तीय संकट के दौर से भी अधिक गंभीर है. इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी जैसी बड़ी कंपनियां ही नहीं, मंझोले दर्जे की टेक महिंद्रा जैसे उपक्रमों में भी लागत और लाभ के गणित के हिसाब से छंटनी हुई है.

इस सेक्टर में शुरुआती स्तर की नौकरियां मौजूदा साल में घटकर आधी हो गयी हैं. रोजगार के अवसरों के लिहाज से काफी आकर्षक माने जानेवाले इस सेक्टर में हो रही छंटनी के कई कारण गिनाये जा सकते हैं. डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन (काम का कुछ हिस्सा सिर्फ मशीनों के सहारे करना) की भूमिका बढ़ी है. लागत घटाने के लिए कंपनियों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ाया है. इन बदलावों का असर रोजगार के अवसरों पर बड़ा विरोधाभासी साबित हुआ है. जहां व्यापक स्तर पर नौकरियां घटी हैं, वहीं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की युक्तियां तैयार करनेवाले विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है.

सितंबर-अक्तूबर में आयीं कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि ऑटोमेशन के कारण इस सेक्टर में 2021 तक 6.4 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है. साथ ही, यह संभावना भी जतायी गयी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विशेषज्ञों की मांग 2018 तक 60 फीसदी तक बढ़ सकती है.

इन विरोधाभासी तथ्यों से निकलते संकेत को समझना अहम है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आइटी उद्योग का एक छोटा हिस्सा है और इस हिस्से में रोजगार की बढ़त व्यापक छंटनी की कीमत पर हो रही है. यह बात भी ध्यान रखनी होगी कि कहीं विशेषज्ञ स्तर की नौकरियों में इजाफा निचले और मंझोले दर्जे की नौकरियों की कमी के आधार पर तो नहीं हो रहा.

उद्योग जगत और सरकार के स्तर पर चिंता जतायी जा चुकी है कि बढ़ते क्लाउड कंप्यूटिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलन के कारण दुनियाभर में रोजगार की संभावनाओं पर अगले सालों में चोट पहुंचेगी. जी-20 के देशों में भारतीय प्रतिनिधि शक्तिकांत दास ने इसी महीने यह आशंका जतायी थी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण जी-20 के देशों की बड़ी चुनौती रोजगार की कमी को रोकने की होगी.

देश में हर साल कार्यबल में करोड़ों लोग जुड़ते जा रहे हैं और श्रम मंत्री ने भी यह स्वीकार किया है कि कार्यबल में बढ़ोतरी की तुलना में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहे हैं. आइटी सेक्टर में होनेवाली छंटनी इस गंभीर और व्यापक समस्या का एक लक्षण मात्र है. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार उद्योग जगत के साथ मिलकर रोजगार-वृद्धि के मोर्चे पर सकारात्मक पहलकदमी करेगी.

Next Article

Exit mobile version