कथित वोट चोरी विवाद में बीजेपी का पलटवार, नागरिकता मिलने से पहले सोनिया गांधी को मिला वोटिंग अधिकार
Vote Chori: बिहार में SIR विवाद के बीच बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी का नाम 1980 और 1983 में भारतीय नागरिकता मिलने से पहले ही मतदाता सूची में दर्ज हुआ, जो चुनावी कानूनों का गंभीर उल्लंघन है.
Vote Chori: बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित वोट चोरी के आरोप में राहुल गांधी और पूरा विपक्षी कुनबा विरोध प्रदर्शन कर रहा है. राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं. इसी बीच बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए दावा किया कि कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी की वोटर आईडी भारतीय नागरिक होने से पहले ही बन गई थी.
बीजेपी आईटी सेल ने X पर पोस्ट शेयर कर किया दावा
दरअसल, अमित मालवीय ने X पर पोस्ट शेयर करते हुए एक लंबा-चौड़ा लेख लिखा. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की मतदाता सूची के साथ सोनिया गांधी का रिश्ता चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघनों से भरा पड़ा है. शायद यही वजह है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्षधर हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध कर रहे हैं.
पहली बार 1980 में दर्ज हुआ था नाम
अमित मालवीय ने कहा कि भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले सोनिया गांधी का नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में दिखाई दिया था. उस दौरान उनके पास इटैलियन नागरिकता थी. उस समय गांधी परिवार 1, सफदरजंग रोड, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास पर रहता था. उस समय तक उस पते पर पंजीकृत मतदाता इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी थे. 1980 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को पात्र तिथि मानकर संशोधन किया गया था. इस संशोधन के दौरान सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 145 के क्रम संख्या 388 पर जोड़ा गया.
1982 में विरोध के बाद हटाया गया नाम
उन्होंने लिखा कि यह प्रविष्टि उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी जिसके तहत मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है. 1982 में भारी विरोध के बाद उनका नाम सूची से हटा दिया गया था और 1983 में फिर से दिखाई दिया. लेकिन उनकी बहाली ने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए. उस वर्ष मतदाता सूची के नए संशोधन में सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 140 में क्रम संख्या 236 पर दर्ज था. पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी – फिर भी उन्हें भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल, 1983 को ही प्रदान की गई.
दूसरी बार 1983 में दर्ज हुआ नाम
दूसरे शब्दों में सोनिया गांधी का नाम मूल नागरिकता की आवश्यकता पूरी किए बिना दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ. पहली बार 1980 में एक इतालवी नागरिक के रूप में और फिर 1983 में कानूनी रूप से भारत की नागरिक बनने से कुछ महीने पहले. हम यह भी नहीं पूछ रहे हैं कि राजीव गांधी से शादी करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लग गए. अगर यह चुनावी कदाचार नहीं है, तो और क्या है?
