सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के 14 सवालों पर फैसला सुरक्षित रखा, देखें द्रौपदी मुर्मू ने कौन-कौन Question पूछे

President Droupadi Murmu: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा अनुच्छेद 143(1) के तहत भेजे गए 14 प्रश्नों पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इन प्रश्नों में एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या कोर्ट राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने के वास्ते राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा निर्धारित कर सकता है.

By ArbindKumar Mishra | September 11, 2025 9:58 PM

President Droupadi Murmu: CJI बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों की दलीलें सुनते हुए 10 दिनों की मैराथन सुनवाई पूरी की. संविधान पीठ में सीजेआई के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर भी शामिल हैं.

कोर्ट ने कहा- वो केवल संविधान की व्याख्या करेगा

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह किसी व्यक्तिगत मामले की पड़ताल नहीं करेगा, बल्कि केवल संविधान की व्याख्या करेगा. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने व्यक्तिगत रूप से ‘राष्ट्रपति संदर्भ’ पर अपना पक्ष रखा.

संविधान के अनुच्छेद 143(1) में क्या है खास?

संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी ऐसे विधिक या तथ्यात्मक प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट से परामर्श ले सकते/सकती हैं, जो जनहित में महत्वपूर्ण हो. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानना उनके लिए बाध्यकारी नहीं है.

राष्ट्रपति ने कौन-कौन सवाल सुप्रीम कोर्ट से पूछे?

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कुछ महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न उत्पन्न हुए हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट की राय प्राप्त करना आवश्यक है. राष्ट्रपति संदर्भ में पूछे गये प्रश्न इस प्रकार हैं:

  1. जब कोई विधेयक राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 200 के तहत प्रस्तुत किया जाता है, तो उनके पास कौन-कौन से संवैधानिक विकल्प होते हैं?
  2. क्या राज्यपाल अपने पास उपलब्ध सभी विकल्पों का प्रयोग करते समय मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह लेने के लिए बाध्य हैं, यदि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत उनके पास विधेयक भेजा जाता है?
  3. क्या संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल द्वारा संवैधानिक विवेक का इस्तेमाल न्यायोचित है?
  4. क्या भारतीय संविधान का अनुच्छेद 361, अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के कार्यों के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है?
  5. संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा की गैर-मौजूदगी और राज्यपाल द्वारा शक्तियों के इस्तेमाल के तौर-तरीके की जानकारी के अभाव में, क्या राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 200 के तहत सभी शक्तियों के प्रयोग के लिए न्यायिक आदेशों के माध्यम से समय-सीमा लागू की जा सकती है और शक्तियों के प्रयोग का तरीका निर्धारित किया जा सकता है?
  6. क्या अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?
  7. संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा की गैर-मौजूदगी और राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों के इस्तेमाल के तौर-तरीके की जानकारी के अभाव में, क्या राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 201 के तहत सभी शक्तियों के प्रयोग के लिए न्यायिक आदेशों के माध्यम से समय-सीमा लागू की जा सकती है और शक्तियों के प्रयोग का तरीका निर्धारित किया जा सकता है?
  8. राष्ट्रपति की शक्तियों को नियंत्रित करने वाली संवैधानिक योजना के आलोक में, क्या राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत ‘संदर्भ’ के माध्यम से उच्चतम न्यायालय से सलाह लेने और राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की सहमति के लिए या अन्यथा किसी विधेयक को आरक्षित करने पर सर्वोच्च न्यायालय की राय लेने की आवश्यकता है?
  9. क्या भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 और अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राज्यपाल और राष्ट्रपति के निर्णय, कानून बनने से पहले ही न्यायोचित ठहराए जा सकते हैं? क्या न्यायालयों को किसी विधेयक के कानून बनने से पहले, किसी भी रूप में, उसकी विषय-वस्तु पर न्यायिक निर्णय लेने की अनुमति है?
  10. क्या संवैधानिक शक्तियों के प्रयोग और राष्ट्रपति/राज्यपाल के आदेशों को अनुच्छेद 142 के तहत किसी भी तरह से प्रतिस्थापित किया जा सकता है?
  11. क्या अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की स्वीकृति के बिना राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को ‘‘कानून’’ माना जा सकता है?
  12. अनुच्छेद 145(3) के प्रावधान के मद्देनजर, क्या इस न्यायालय की किसी भी पीठ के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि वह पहले तय करे कि उसके समक्ष कार्यवाही में शामिल प्रश्न ऐसी प्रकृति का है, जिसमें संविधान की व्याख्या के रूप में कानून के पर्याप्त प्रश्न शामिल हैं और इसे न्यूनतम पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाए?
  13. … (क्या) भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां प्रक्रियात्मक कानून के मामलों तक सीमित हैं या अनुच्छेद 142 निर्देश जारी करने/आदेश पारित करने तक विस्तारित है, जो संविधान या लागू कानून के मौजूदा मूल या प्रक्रियात्मक प्रावधानों के विपरीत या असंगत हैं?
  14. क्या संविधान, अनुच्छेद 131 के अंतर्गत मुकदमे के अलावा, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए शीर्ष अदालत के किसी अन्य क्षेत्राधिकार पर रोक लगाता है?
    उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने गत आठ अप्रैल को एक फैसले में राज्यपालों के लिए विधेयकों पर कार्रवाई की समय-सीमा तय की थी और कहा था कि राज्यपाल को अनुच्छेद 200 के तहत किसी भी विधेयक पर मंत्रिपरिषद की सलाह का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा.