Constitution day पर बोले पीएम मोदी ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ भारत की जरूरत

One nation one election, Prime Minister Narendra Modi, constitution day प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से वन नेशन, वन इलेक्शन की बात दुहरायी है. उन्होंने गुरुवार को संविधान दिवस के मौके पर अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, एक देश, एक चुनाव, सिर्फ बहस का मामला नहीं, बल्कि यह भारत की जरूरत है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2020 4:47 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से वन नेशन, वन इलेक्शन की बात दुहरायी है. उन्होंने गुरुवार को संविधान दिवस के मौके पर अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, एक देश, एक चुनाव, सिर्फ बहस का मामला नहीं, बल्कि यह भारत की जरूरत है.

पीएम मोदी ने लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों के लिए एकल मतदाता सूची का सुझाव दिया और कहा कि अलग-अलग सूचियां संसाधनों को व्यर्थ करना है. पीएम मोदी ने कहा, हर कुछ महीनों में विभिन्न स्थानों पर चुनाव होते हैं, विकास कार्य पर इसका प्रभाव सभी को पता है. इस मुद्दे का अध्ययन करने की आवश्यकता है और पीठासीन अधिकारी इसके लिए मार्गदर्शक हो सकते हैं.


Also Read: PM Modi ने कहा, मुंबई हमले को भारत कभी नहीं भूल सकता, आतंकवादियों को दे रहे मुंहतोड़ जवाब

कानूनों की भाषा आसान होनी चाहिए, जिससे सामान्य व्यक्ति आसानी से समझ सके

पीएम मोदी ने संविधान दिवस पर कहा, हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है. मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है.

उन्होंने सुझाव देते हुए कहा, हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके. हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है. इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा.

पीएम मोदी ने पूराने कानून में बदलाव के दिये संकेत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूराने कानूनों में बदलाव के भी संकेत दिये. उन्होंने कहा, समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए. बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं. क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते जिससे पुराने कानूनों में संशोधन की तरह, पुराने कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया स्वत: चलती रहे?

Next Article

Exit mobile version