नेपाल के प्रधानमंत्री ओली को अपनी ही पार्टी ने दिखाया बाहर का रास्ता, प्रचंड ने भारत पर लगाया गंभीर आरोप

Nepal, KP Sharma Oli vs Prachanda, Oli removed from ruling Nepal Communist Party, Pushp Kamal Dahal Prachanda, Serious allegations against India नेपाल में एक बार फिर राजनीति चरम पर है. कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को रविवार को अपनी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पृथक धड़े के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड' वाले गुट ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2021 9:18 PM

नेपाल में एक बार फिर राजनीति चरम पर है. कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को रविवार को अपनी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पृथक धड़े के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ वाले गुट ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया.

इससे पहले पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में एक बड़ी सरकार विरोधी रैली किया गया. जिसमें प्रचंड ने कहा कि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा संसद को अवैध तरीके से भंग किए जाने से देश में मुश्किल से हासिल की गई संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को गंभीर खतरा पैदा हुआ है.

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अपने धड़े के समर्थकों को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि ओली ने न सिर्फ पार्टी के संविधान और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया, बल्कि नेपाल के संविधान की मर्यादा का भी उल्लंघन किया और लोकतांत्रिक रिपब्लिक प्रणाली के खिलाफ काम किया.

उन्होंने कहा कि ओली के कदमों के चलते लोग प्रदर्शन करने को विवश हुए हैं और आज, पूरा देश प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने के खिलाफ है. मालूम हो उस प्रदर्शन में 25,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे.

प्रचंड का भारत पर बड़ा आरोप

पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने भारत पर भी बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर भारत के इशारे पर सत्तारूढ़ दल को विभाजित और संसद को भंग करने का आरोप लगाया. प्रचंड ने कहा कि प्रधानमंत्री ने निकट अतीत में आरोप लगाया था कि एनसीपी के कुछ नेता भारत की शह पर उनकी सरकार को गिराने की साचिश रच रहे थे. प्रचंड ने कहा कि उनके धड़े ने बस इसलिए ओली को इस्तीफ देने के लिए बाध्य नहीं किया क्योंकि इससे एक संदेश जाता कि ओली का बयान सच है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, अब क्या ओली ने भारत के निर्देश पर पार्टी को विभाजित कर दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया? उन्होंने कहा कि सच नेपाल की जनता के सामने आ गया. प्रचंड ने आरोप लगाया, ओली ने भारत की खुफिया शाखा रॉ के प्रमुख सामंत गोयल के बालुवतार में अपने निवास पर किसी भी तीसरे व्यक्ति की गैरमौजूदगी में तीन घंटे तक बैठक की जो स्पष्ट रूप से ओली की मंशा दर्शाता है.

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गौरतलब है कि नेपाल 20 दिसंबर को तब राजनीतिक संकट में फंस गया जब चीन समर्थक समझे जाने वाले ओली ने प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच अचानक प्रतिनिधि सभा भंग करने की सिफारिश कर दी. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उनकी अनुशंसा पर उसी दिन प्रतिनिधि सभा को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को नये चुनावों की तारीख का ऐलान भी कर दिया.

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