अब बताना होगा कौन फैला रहा गलत सूचनाएं, फेक न्यूज के खिलाफ बेसिल का बड़ा कदम

Social media fake news: सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली फेक न्यूज भारत समेत दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने और अफवाहों पर लगाम कसने के लिए तैयारी में जुट गयी है. भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतगर्त आने वाली ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (BECIL) ने फेक न्यूज की स्त्रोतों की पहचान के लिए टेंडर निकाला है.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 10, 2020 12:00 PM

सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली फेक न्यूज भारत समेत दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने और अफवाहों पर लगाम कसने के लिए तैयारी में जुट गयी है. भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतगर्त आने वाली ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (BECIL) ने फेक न्यूज की स्त्रोतों की पहचान के लिए टेंडर निकाला है.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, इन टेंडरों में फैक्ट चेकिंग और फर्जी खबरों की पहचान के लिए एजेंसिंयों को समाधान और सेवा मुहैया कराने का निमंत्रण दिया गया है. इस टेंडर में बेसिल (BECIL) ने बोली लगाने वाली कंपनियों के लिए यह अनिवार्य किया है कि वो फर्जी खबरों के पीछे के स्त्रोंता का पता लगाएं, साथ ही ये भी बताएं कि उनकी जियो लोकेशन क्या है.

सरकार करा सकती है लोगों की निगरानी

साइबर कानून विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकार के पास लोगों की अवैध निगरानी के रास्ते खुल जाएंगे और यह संदिग्ध व्यक्तियों की तलाश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. साइबर लॉ कंपनी टेकलगिस एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स के फाउंडर सलमान वारिस के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि हम नहीं जानते कि फेक न्यूज क्या है और क्या नहीं? तो जिसे टेंडर मिलेगा वो कैसे पता करेगा कि ये फेक न्यूज है या नहीं. किस चिज की पहचान जरूरी है और किसका सत्यापन. हालांकि इससे उनके लिए अवैध तरीके से लोगों की निगरानी के रास्ते खुल जाएंगे. बेसिल ने अब तक ऐसे सवाले के जवाब नहीं दिए हैं.

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने हाल में कहा था कि वह अभी फर्जी खबरों के लिए दिशा निर्देश पर काम कर रहा है. सोशल मीडिया रेगुलेशंस 2020 के उपयोग के लिए सूचना प्रौद्योगिकी दिशानिर्देशों के अंतिम ड्राफ्ट पर काम कर रहा है. मंत्रालय द्वारा नियमों का एक अंतिम मसौदा अभी सार्वजनिक किया जाना बाकी है. बता दें कि प्रेस इनफोर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) मीडिया में आने वाली खबरों का और सोशल मीडिया पर वायरल रिपोर्टस की फैक्ट चेकिंग करता आ रहा है. यहां यह बता दें कि केंद्र सरकार ने कई बार सोशल मीडिया कंपनियों पर फेक न्यूज के फैलाव को रोकने की जिम्मेदारी डाल चुकी है.

आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने क्या कहा था?

अगस्त 2018 में आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया कंपनियों से कहा था कि फेक न्यूज को रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए. रविशंकर प्रसाद का यह सुझाव देश में भीड़ हत्या की कुछ घटनाओं के बाद दिया था. फेसुबक और उसकी स्वामित्व वाली कंपनी वाट्सएप यूजर की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है. गलत सूचनाओं के प्रसार के लिए सरकार की नजर बराबर इस पर बनी रहती है. फेसुबक, वाट्सएप और ट्विटर कई बार पेक न्यूज के लिए आलोचना का शिकार हो चुकी है. हालांकि, ट्विटर ने अब फेक न्यूज के रूप में लेबल करना शुरू कर दिया है. हालांकि यह बड़े पैमाने पर संभव नहीं है.

Posted By: Utpal kant

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