कूटनीति के मास्टर विनय मोहन पात्रा ने संभाला नए विदेश सचिव पदभार, UNSC में फ्रांस को बनाया भारत का समर्थक

मार्च 2020 से अब तक नेपाल में भारत के राजदूत रहे वरिष्ठ राजनयिक विनय मोहन पात्रा ने ऐसे वक्त में विदेश सचिव का कार्यभार ग्रहण किया है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरा विश्व अशांत है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 1, 2022 1:09 PM

नई दिल्ली : भारत के राजदूतों में कूटनीति के मास्टर कहे जाने वाले वरिष्ठ राजनयिक विनय मोहन क्वात्रा ने रविवार को देश के नए विदेश सचिव का पदभार ग्रहण कर लिया है. शनिवार को हर्षवर्धन श्रृंगला के रिटायर हो जाने के बाद विनय मोहन पात्रा को भारत का विदेश सचिव बनाया गया है. विदेश सचिव बनने से पहले विनय मोहन क्वात्रा नेपाल में भारत के राजदूत थे. वरिष्ठ राजनयिक क्वात्रा की खासियत यह है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी एक ऐसी पहचान बनाई, जिसने नियुक्ति वाले देश में भारत के नजरिए का प्रचार किया और उस देश का समर्थन हासिल किया. उनके बारे में कहा यह भी जाता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी कार्यशैली से फ्रांस को भारत का समर्थक बना दिया.

रूस-यूक्रेन युद्ध बड़ी चुनौती

मार्च 2020 से अब तक नेपाल में भारत के राजदूत रहे वरिष्ठ राजनयिक विनय मोहन पात्रा ने ऐसे वक्त में विदेश सचिव का कार्यभार ग्रहण किया है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरा विश्व अशांत है. ऐसे में, मित्र राष्ट्रों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाए रखने के साथ यूक्रेन में शांति बहाली के लिए भारत के प्रयासों को सफल बनाना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है.

पीएमओ में नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर बारीकी से किया काम

हालांकि, अक्तूबर 2015 से अगस्त 2017 के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संयुक्त सचिव के पद तैनात रहते हुए उन्होंने सरकार की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर बहुत ही बारीकी से काम कर अपनी कार्यकुशलता का परिचय भी दिया हुआ है.

Also Read: एनआरसी का बांग्लादेश पर प्रभाव नहीं होगा, यह हमारा आंतरिक मामला : विदेश सचिव श्रृंगला

अमेरिका-कनाडा के साथ भारत के रिश्तों को किया मजबूत

मार्च 2020 में नेपाल में अपनी राजनयिक तैनाती से पहले उन्होंने अगस्त 2017 से फरवरी 2020 के बीच फ्रांस में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया. 32 साल का अनुभव रखने वाले क्वात्रा ने ने जुलाई 2013 से अक्टूबर 2015 के बीच विदेश मंत्रालय के नीति निर्धारण एवं अनुसंधान प्रभाग का नेतृत्व किया. बाद में वह विदेश मंत्रालय में अमेरिकी विभाग के प्रमुख के पद पर नियुक्त हुए, जहां उन्होंने अमेरिका और कनाडा के साथ भारत के संबंधों को देखा.

Next Article

Exit mobile version