Aurangabad Train Accident: घर पहुंचने की चाह में पैदल निकले थे, ट्रेन की चपेट में आकर हुई 14 मजदूरों की मौत, पटरी पर शवों के साथ बिखरी थी बेबसी

Aurangabad Train Accident: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें 14 प्रवासी मजदूरों की जान चली गयी. ये मजदूर तो निकले थे अपने घर जाने के लिए…लेकिन लॉकडाउन के कारण सड़क पर पुलिस का पहरा था.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 8, 2020 1:10 PM

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें 14 प्रवासी मजदूरों की जान चली गयी. ये मजदूर तो निकले थे अपने घर जाने के लिए…लेकिन लॉकडाउन के कारण सड़क पर पुलिस का पहरा था. वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे. जब वे चलते-चलते थक गये तो उन्होंने रेल की पटरियों को ही अपना बिस्तर बना लिया. सभी गहरी नींद में थे और घड़ी में सुबह के करीब सवा पांच बज रहे थे. तभी उधर से एक मालगाड़ी गुजरी जिसने इन्हें अपनी चपेट में ले लिया और इनकी मौत हो गयी. खबरों की मानें तो लॉकडाउन के कारण ये सभी मजदूर अपने घर जाने के लिए 40 किलोमीटर चलकर आये थे. थकान ज्यादा लगी, तो पटरी पर सो गये लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह उनकी जिंदगी की अंतिम नींद साबित होगी.

जिस रोटी की तलाश में ये मजदूर घर से निकले वे…

हादसे की कुछ तसवीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चलीं हैं जिसमें पटरियों पर लाशें नजर आ रहीं हैं और वहां बिखरी रोटियां….जिस रोटी की तलाश में ये मजदूर घर से निकले थे, वह उनके बेजान शरीर के पास बिखरी नजर आयी. खामोश पटरियों पर मौत का सन्नाटा पसरा देख सबकी आंखें नम हो गयी. हादसे के संबंध में पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि करमाड पुलिस थाने के तहत आने वाले क्षेत्र में सुबह सवा पांच बजे हुई इस दुर्घटना में दो अन्य मजदूर घायल भी हुए हैं.

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थकान के कारण पटरियों पर ही सो गये

करमाड पुलिस थाने के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मध्य महाराष्ट्र के जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश लौट रहे थे. उन्होंने बताया कि वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गये थे. जालना से आ रही मालगाड़ी पटरियों पर सो रहे इन मजदूरों पर चढ़ गयी. जालना में एक इस्पात फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर गत रात पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर निकल पड़े थे. वे करमाड तक आये और थककर पटरियों पर सो गये.

तीन मजदूर ऐसे बच गये जिंदा

इस समूह के साथ चल रहे तीन मजदूर ऐसे भी थे जिन्होंने समझदारी दिखलायी. जी हां वे जीवित बच गये क्योंकि वे रेल की पटरियों से कुछ दूरी पर सो रहे थे.

मृतक मजदूरों के परिवार को 5-5 लाख रुपये देने की घोषणा

आज सुबह औरंगाबाद करमाड रेलवे स्टेशन के पास हुए हादसे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दुख जताया है. उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से फोन पर चर्चा कर हादसे की जांच और मृतक मजदूरों के परिवारों की सहायता करने की मांग की. मुख्यमंत्री ने मृतक मजदूरों के परिवार को 5-5 लाख रुपये देने की घोषणा की. औरंगाबाद ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को महाराष्ट्र सरकार भी 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देगी.

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पीएम मोदी और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने जताया दुख

पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद रेल दुर्घटना की खबर से मन दुखी है. मैंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है. वह इसपर पैनी नजर रखे हुए हैं. औरंगाबाद रेल हादसे पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि राहत कार्य जारी है और जांच के आदेश दे दिये गये हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि आज 5:22 AM पर नांदेड़ डिवीजन के बदनापुर व करमाड स्टेशन के बीच सोये हुए श्रमिकों के मालगाड़ी के नीचे आने का दुखद समाचार मिला. राहत कार्य जारी है, व इन्क्वायरी के आदेश दिये गए हैं. दिवंगत आत्माओं की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.

राहुल गांधी ने औरंगाबाद ट्रेन हादसे में मजदूरों की मौत पर दुख जताया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी औरंगाबाद ट्रेन हादसे में मजदूरों की मौत पर दुख जताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की. उन्होंने ट्वीट किया कि मालगाड़ी से कुचले जाने से मजदूर भाई-बहनों के मारे जाने की ख़बर से स्तब्ध हूं. हमें अपने राष्ट्र निर्माणकर्ताओं के साथ किये जा रहे व्यवहार पर शर्म आनी चाहिए. मारे गये लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं.

लॉकडाउन के बाद भी घर जाने को आतुर हैं लोग

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि को दो बार बढ़ाया है. अभी देश में लॉकडाउन 3 जारी है जो 17 मई तक रहेगा. इस लॉकडाउन के बीच जो लोग घर से दूर फंसे हुए हैं वे किसी तरह भी अपने परिवार के पास पहुंचना चाहते हैं. इनमें से कुछ लोग पैदल ही अपने घर की ओर निकले. कुछ लोग तो सैकड़ों किमी की दूरी तय करके अपने घर पहुंच गये लेकिन कुछ लोग इतने खुशनसीब साबित नहीं हुए. लॉकडाउन के दौरान कई ऐसी तसवीरें सामने आयी कि लोग अपने साइकिल पर या ठेले पर ही परिवार को बैठाकर घर की ओर निकल पड़े.

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