पीएफआई की हड़ताल पर केरल हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, प्रदर्शन को बताया अदालती आदेश की अवमानना

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि इन लोगों द्वारा हमारे पूर्व के आदेश में दिए एक निर्देशों का पालन किए बिना हड़ताल का आह्वान करना प्रथम दृष्टया 2019 आदेश के संदर्भ में इस अदालत के निर्देशों की अवमानना के समान है.

By KumarVishwat Sen | September 23, 2022 6:43 PM

कोच्चि : पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा केरल में की गई हड़ताल पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पीएफआई की हड़ताल इस तरह के प्रदर्शनों को लेकर 2019 में जारी उसके आदेश की प्रथम दृष्टया अवमानना प्रतीत होती है. न्यायमूर्ति एके जयशंकरण नांबियार ने कहा कि उनके 2019 के आदेश के बावजूद पीएफआई ने गुरुवार को अचानक हड़ताल का आह्वान किया. यह एक ‘अवैध हड़ताल’ है. अदालत ने केरल में आज हड़ताल का आह्वान करने को लेकर पीएफआई और उसके प्रदेश महासचिव के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया.

अदालत ने पुलिस को दिया आवश्यक निर्देश

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि इन लोगों द्वारा हमारे पूर्व के आदेश में दिए एक निर्देशों का पालन किए बिना हड़ताल का आह्वान करना प्रथम दृष्टया 2019 आदेश के संदर्भ में इस अदालत के निर्देशों की अवमानना के समान है. मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने हड़ताल के आह्वान का समर्थन नहीं करने वालों की सार्वजनिक और निजी संपत्ति को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाए जाने से रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने का पुलिस को निर्देश दिया.

सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की रिपोर्ट दे पुलिस : हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति नांबियार ने कहा कि खासकर, पुलिस अवैध हड़ताल के समर्थकों द्वारा ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए कदम उठाए और अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करे, जिसमें सार्वजनिक या निजी संपत्ति को यदि नुकसान पहुंचाने के कोई मामले सामने आएं, तो उसकी जानकारी दी जाए. अदालत ने कहा कि यह जानकारी अपराधियों से इस तरह के नुकसान की भरपाई कराने के वास्ते अदालत के लिए जरूरी होगी. अदालत ने पुलिस से कहा कि वह उन सभी जन सेवाओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, जिन्हें अवैध हड़ताल का समर्थन करने वाले निशाना बना सकते हैं.

हाईकोर्ट ने मीडिया को दी सही जानकारी देने की नसीहत

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया घराने अदालत के उस आदेश की जानकारी दिए बिना ही ‘अचानक आहूत हड़ताल’ से जुड़ी खबरें चला रहे हैं, जिसमें उसने इस तरह की हड़ताल की सात दिन पूर्व सार्वजनिक रूप से जानकारी ना दिए जाने पर उन्हें अवैध घोषित करने का फैसला सुनाया था. अदालत ने कहा कि इसलिए, हम मीडिया से एक बार फिर अनुरोध करते हैं कि जब भी अचानक ऐसी अवैध हड़तालों का आह्वान किया जाए, तब लोगों को इस बात की सही से जानकारी दी जाए कि हड़ताल अदालत के आदेश का उल्लंघन है.

सात दिन पहले करना होगा हड़ताल का ऐलान

अदालत ने कहा कि यह काफी हद तक आम जनता की हड़ताल के आह्वान की वैधता के संबंध में आशंकाओं को दूर करने के लिए पर्याप्त होगा. अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तारीख तय की है. केरल हाईकोर्ट ने 7 जनवरी 2019 को स्पष्ट कर दिया था कि हड़ताल से सात दिन पहले उसकी सार्वजनिक तौर पर जानकारी दिए बिना, ऐसे अचानक हड़ताल का आह्वान करना अवैध या असंवैधानिक माना जाएगा और हड़ताल का आह्वान करने वालों को इसके प्रतिकूल परिणाम भुगतने होंगे.

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पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए ने गुरुवार को की थी छापेमारी

गौरतलब है कि देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) तथा अन्य एजेंसियों द्वारा पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं से जुड़े परिसरों पर छापे मारे जाने के विरोध में पीएफआई ने शुक्रवार को हड़ताल करने का आह्वान किया था. एनआईए ने बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात करीब तीन बजे से भारत के करीब 11 राज्यों में पुलिस और विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी अभियान चलाया था. इस दौरान पीएफआई के करीब 106 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था और 50 से अधिक लोगों को कोर्ट में पेश किया गया था.

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