ममता बनर्जी को जिस जज से लगता है डर, उसे सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने कलकत्ता हाइकोर्ट का स्थायी जज बनाया

Justice Kaushik Chand|Supreme Court|Calcutta High Court|ममता बनर्जी और TMC ने कहा कि जस्टिस कौशिक चंद का BJP से पुराना नाता रहा है. इसलिए केस को दूसरी पीठ में भेजा जाये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2021 10:13 PM

नयी दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी को जिस जज से डर लगता है, वह कलकत्ता हाइकोर्ट के स्थायी जज बना दिये गये हैं. सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने मंगलवार को इस जज को कलकत्ता हाइकोर्ट का स्थायी जज बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस जज का जन्म है जस्टिस कौशिक चंद. जस्टिस कौशिक चंद अब तक कलकत्ता हाइकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे थे.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Chunav 2021) के परिणाम घोषित होने के एक महीने बाद जस्टिस कौशिक चंद (Justice Kaushik Chanda) सुर्खियों में आये थे. तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी (TMC Supremo Mamata Banerjee) पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम (Nandigram) विधानसभा सीट से चुनाव हार गयीं थीं. अपनी हार को उन्होंने हाइकोर्ट में चुनौती दी और फिर से मतगणना कराने की अपील की. यह केस सुनवाई के लिए जस्टिस कौशिक चंद की अदालत में लिस्ट की गयी थी.

ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस पर आपत्ति दर्ज करा दी. कहा कि जस्टिस कौशिक चंद का भारतीय जनता पार्टी (BJP) से पुराना नाता रहा है. तृणमूल कांग्रेस (All India Trinamool Congress) के सीनियर लीडर्स ने यहां तक कहा कि कौशिक चंद (Justice Kaushik Chanda) जज बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे. हालांकि, जस्टिस कौशिक चंद ने इसका खंडन किया. उन्होंने कहा कि वकील के रूप में उन्होंने बीजेपी का कोर्ट में पक्ष रखा था. कभी वह बीजेपी के सदस्य नहीं रहे.

नंदीग्राम केस की सुनवाई से जुड़े थे जस्टिस कौशिक चंद

बावजूद इसके, तृणमूल कांग्रेस (AITC) से जुड़े वकीलों ने जस्टिस कौशिक चंद (Justice Kaushik Chanda) का विरोध किया. ममता बनर्जी ने खुद वकील के माध्यम से अपील दायर की और कहा कि जस्टिस कौशिक चंद को उनके केस से अलग किया जाये. इस पर जस्टिस कौशिक चंद ने तृणमूल सुप्रीमो से पूछा था कि जब आपको दूसरी पार्टी के वकील मंजूर हैं, तो किसी और पार्टी का जज मंजूर क्यों नहीं. हालांकि, बाद में जस्टिस कौशिक चंद ने खुद को इस केस से अलग कर लिया था, लेकिन उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री पर एक जज की निष्ठा पर सवाल उठाने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

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उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी नंदीग्राम में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari BJP) से 2 हजार से भी कम वोटों के मामूली अंतर से हार गयीं थीं. चुनाव में पराजित होने के बाद भी ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं, क्योंकि उनकी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी. यही वजह है कि उन्होंने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पुनर्मतगणना की मांग की है और इस केस की सुनवाई कलकत्ता हाइकोर्ट में चल रही है.

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Posted By: Mithilesh Jha

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