ईश्वर राष्ट्र का जीवन है, योगदा सत्संग के संगम कार्यक्रम में बोले स्वामी चिदानन्द गिरि

12-16 फरवरी को संगम के दौरान सामूहिक सत्संग और ध्यान के लिए भारत और सम्पूर्ण विश्व से आए 3,200 से अधिक वाईएसएस और एसआरएफ भक्तों को सम्बोधित करते हुए स्वामीजी ने आगे कहा, हमारे गुरुदेव ने हमें साधना, संगम, और कृपा, ये तीन वस्तुएं प्रदान की हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2023 5:25 PM

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इण्डिया/सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (वाईएसएस/एसआरएफ़) के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि ने हैदराबाद के कान्हा शान्ति वन में आयोजित वाईएसएस संगम 2023 के अपने उद्घाटन सत्संग में कहा, भारत में हम देखते हैं कि ईश्वर राष्ट्र का जीवन है. अब उभरती हुई वैश्विक सभ्यता के जीवन के साथ इस विचार का भी प्रसार होना आवश्यक है. मानव जाति इस पृथ्वी ग्रह पर एक सुरक्षित, समृद्ध, और संतोषजनक भविष्य देख सके, इस उद्देश्य से हमारे लिए उस चेतना का निर्माण करना आवश्यक है. मैं आपमें से प्रत्येक व्यक्ति को भारत की आध्यात्मिक सभ्यता के स्वर्णिम युग तथा भावी वैश्विक आध्यात्मिक सभ्यता के मध्य की जीवन्त कड़ी बनते हुए देखना चाहता हूं.

श्री श्री परमहंस योगानन्द ने तीन बहुमुल्य वस्तुएं दीं

12-16 फरवरी को संगम के दौरान सामूहिक सत्संग और ध्यान के लिए भारत और सम्पूर्ण विश्व से आए 3,200 से अधिक वाईएसएस और एसआरएफ़ भक्तों को सम्बोधित करते हुए स्वामीजी ने आगे कहा, हमारे गुरुदेव (श्री श्री परमहंस योगानन्द) ने हमें साधना (अर्थात् ध्यान), संगम (अर्थात भक्तों के दिव्य सत्संग का सम्बल), और कृपा (अर्थात उनके आशीर्वादों की शाश्वत कृपा), ये तीन वस्तुएं प्रदान की हैं. इन तीनों का संयोजन ही इस संगम का विषय है ‘क्रियायोग शरणम,’ जो उन द्वारों को खोल देगा जिनके माध्यम से हमारे हृदयों में दिव्य आनन्द एवं प्रकाश प्रवाहित होगा.

चिदानन्दजी ने भक्तों को आत्मा की अनन्त क्षमताओं की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया

जगद्गुरू श्री श्री परमहंस योगानन्द के शब्दों को उद्धृत करते हुए, स्वामी चिदानन्दजी ने भक्तों को अपनी आत्मा की अनन्त क्षमताओं की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया, वैज्ञानिक क्रियायोग ध्यान के दैनिक अभ्यास के द्वारा सम्पूर्ण हार्दिक तत्परता के साथ अनन्त की शरण लें. जैसा हमारे गुरूदेव कहते हैं, ‘बिखरते विश्वों के टकराव के मध्य अविचलित रहने’ का अर्थ है एक पीड़ित व्यक्ति बनने के स्थान पर आत्मा के मन्दिर में शरण लेकर ज्ञान की खड्ग के द्वारा अज्ञान से उत्पन्न संशय का संहार करके एक विजेता बनने का निश्चय करना. स्वामीजी ने मार्गदर्शन दिया, यदि आप भ्रूमध्य केन्द्र पर अपना ध्यान केन्द्रित करें, तो आपके अन्तरतम से एक महान शक्ति प्रवाहित होती है. यह आध्यात्मिक चेतना जीवन की सबसे महान शरणस्थली है.

स्वामी चिदानन्दजी ने परमहंस योगानन्द द्वारा लिखित पुस्तकों के चार नये संस्करणों का विमोचन किया

स्वामी चिदानन्दजी ने इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने श्री श्री परमहंस योगानन्द द्वारा लिखित इन पुस्तकों के चार नए संस्करणों का विमोचन भी किया : Autobiography of a Yogi (डीलक्स संस्करण), Metaphysical Meditations (सजिल्द), तेलुगू में Journey to Self-realization (पेपरबैक), और कन्नड़ में Science of Religion (पेपरबैक.

संगम में हिस्सा लेने आये भक्तों ने अपने विचार साझा किये

पहली बार भाग लेने वाले एक भक्त ने संगम से अपनी अपेक्षाओं के बारे में ये विचार साझा किये हैं, वाईएसएस में यह मेरा पहला संगम है सभी आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने और इतनी बड़ी संख्या में योगदा भक्तों के साथ ध्यान करने की मुझे आतुरता से प्रतीक्षा है. अपनी व्यस्त दिनचर्या से एक अवकाश लेने और साधना के अभ्यास को एक नई ऊर्जा प्रदान करने के लिए यह संगम एक उपयुक्त अवसर है. इसके अतिरिक्त हमारे प्रिय अध्यक्ष स्वामी चिदानन्दजी के साथ सत्संग के कारण इस संगम का अनुभव और भी अधिक विशेष हो जाता है.

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