Election Commission: बिहार में संशोधित मतदाता सूची जारी होने के दो हफ्ते बाद भी किसी दल से नहीं मिली है कोई शिकायत

चुनाव आयोग के अनुसार संशोधित मतदाता सूची जारी होने के 14 दिन बाद भी किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है. एसआईआर के दौरान 18 साल की उम्र वाले 87966 फार्म मतदाता सूची में शामिल होने के लिए मिले, जबकि बूथ लेवल एजेंट ने ऐसे सिर्फ 6 फार्म ही जमा किया.

By Anjani Kumar Singh | August 14, 2025 1:20 PM

Election Commission: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा है. चुनाव आयोग संशोधित मतदाता सूची जारी कर चुका है और अब तक 23557 दावे और आपत्ति एसआईआर को लेकर मिला है, जिसमें चुनाव आयोग 741 शिकायतों का निवारण कर चुका है. चुनाव आयोग के अनुसार संशोधित मतदाता सूची जारी होने के 14 दिन बाद भी किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है. एसआईआर के दौरान 18 साल की उम्र वाले 87966 फार्म मतदाता सूची में शामिल होने के लिए मिले, जबकि बूथ लेवल एजेंट ने ऐसे सिर्फ 6 फार्म ही जमा किया. नियम के अनुसार दावे और शिकायतों का निपटारा संबंधित चुनाव अधिकारी को सात दिनों के अंदर दस्तावेजों की जांच कर करना होता है. 


एसआईआर के लिए जारी आदेश के तहत संशोधित मतदाता सूची से किसी का नाम हटाया नहीं जा सकता है. कोई शिकायत मिलने पर मतदाता को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना होगा और अगर जांच के बाद शिकायत सही पायी गयी तो नाम हटाया जा सकेगा. चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया के बाद एक अगस्त को संशोधित मतदाता सूची जारी किया. गौरतलब है कि चुनाव आयोग पूरे देश में एसआईआर की प्रक्रिया को शुरू करने की तैयारी कर रहा है. पश्चिम बंगाल में इसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है. 


विपक्ष एसआईआर की प्रक्रिया पर उठा रहा है सवाल

विपक्षी दलों का आरोप है कि बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एसआईआर कराने का फैसला सही नहीं है. हड़बड़ी में एसआईआर के प्रक्रिया के कारण कई मतदाता चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं. एसआईआर को लेकर विपक्षी दल संसद से लेकर सड़क तक आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और राजनीतिक दल इसे लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. संशोधित मतदाता सूची जारी होने के कई दिन बाद भी राजनीतिक दलों की ओर कोई शिकायत नहीं मिली है. राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट की ओर से भी किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है. 


विपक्षी दलों का आरोप है कि कई लोगों को मृत बताकर मतदाता सूची से नाम काट दिया गया है. इसपर आयोग का कहना है कि पीड़ित पक्ष इस बारे में शिकायत कर सकता है. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट एसआईआर पर रोक लगाने को तैयार नहीं है.