Chhattisgarh Naxal Operation: दंडकारण्य के 210 माओवादियों ने किया सरेंडर, मांझी चालकी विधि से हुआ स्वागत

Chhattisgarh Naxal Operation: केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति को शनिवार बड़ी सफलता मिली है. ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दंडकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया. सभी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया.

By ArbindKumar Mishra | October 18, 2025 10:18 PM

Chhattisgarh Naxal Operation: नक्सलियों को आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है. लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है. पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने 153 अत्याधुनिक हथियार भी पुलिस को सौंपे

यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है. आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं. इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं. यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है.

सरेंडर करने वाले माओवादियों में ये हैं शामिल

मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं. इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों का मांझी चालकी विधि से हुआ स्वागत

यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहां आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया. उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया. इस मौके पर मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है. जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों को दी गई पुनर्वास सहायता की जानकारी

कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई. राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सके.

सरेंडर करने वाले नक्सली बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे : डीजीपी

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है. जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे.” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया. इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों को दिलाई गई शपथ

कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की. उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे. ‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया.