फर्जी पहचान पर 10वीं पास ने लिया क्रेडिट कार्ड, विदेशी बैंकों को लाखों का चूना लगाकर खरीदी एमजी हेक्टर

Credit Card Fraud फर्जी पहचान पर क्रेडिट कार्ड से विदेशी बैंकों को लाखों रुपये का चूना लगाने वाला 10वीं पास एक शख्स दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि आरोपी बड़े शातिर तरीके से जालसाजी को अंजाम देता था. उसके खिलाफ अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक की तरफ से शिकायत मिली थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2021 4:11 PM

Credit Card Fraud फर्जी पहचान पर क्रेडिट कार्ड से विदेशी बैंकों को लाखों रुपये का चूना लगाने वाला 10वीं पास एक शख्स दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि आरोपी बड़े शातिर तरीके से जालसाजी को अंजाम देता था. उसके खिलाफ अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक की तरफ से शिकायत मिली थी. फिलहाल पुलिस ने 15 लाख से ज्यादा की ठगी का हिसाब किताब ढूंढ निकाला है.

सबके खास बात यह है कि आरोपी शकील महज 10वीं पास है और वह पिछले तीन सालों से पत्थर, टाइल्स और फाल्स सीलिंग का काम कर रहा था. पुलिस जांच में सामने आया कि उसके सात बैंक अकाउंट हैं, जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ताकि, उसका सिबिल स्कोर अच्छा रहे. जानकारी के मुताबिक, शकील इंटरनेट से अलग-अलग लोगों के फोटो और उनके पहचान-पत्र समेत अन्य डॉक्यूमेंट्स हासिल करता था. फिर उसी पहचान पर क्रेडिट-कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करता था. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वह क्रेडिट कार्ड बनवाने में सफल भी रहता था. बाद में इन क्रेडिट कार्ड से बैंकों को लाखों रुपए का चूना लगाता था.

दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस आरोपी के खिलाफ अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक की तरफ से शिकायत मिली थी. आरोपी के पास से एक एमजी हेक्टर कार भी बरामद की गई है, जो उसने हाल ही में खरीदी थी. साउथ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी अतुल ठाकुर के मुताबिक,अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक की तरफ से शिकायत मिली कि उनके बैंक से फर्जी पहचान पर चार क्रेडिट कार्ड बनवाए गए. उन कार्ड से कम समय के अंदर ही लाखों रुपये की खरीदारी की गई.

बैंक के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड की पेमेंट के लिए फर्जी चेक दिए गए. बैंक ने बताया कि चारों कार्ड बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया था. बैंक को कुल 15 लाख 39 हजार 484 रुपये का चूना लगा. बैंक ने पुलिस को ये भी बताया कि कार्ड को पेट्रोल पंप पर स्वाइप कर उसके बदले में रकम ली गयी. फिलहाल एफआईआर दर्ज कर साइबर सेल को जांच सौंप दी.

साइबर सेल की जांच में सामने आया कि कार्ड बनने से पहले फिजिकल वेरिफिकेशन भी किया गया था. जिन पते पर कार्ड बने थे, उनपर जाकर जांच की गई तो मालूम हुआ कि कुछ समय के लिए वह घर या फ्लैट किराये पर लिया गया था. क्रेडिट कार्ड आसानी से बन जाए इसके लिए वह अच्छी और महंगी कॉलोनियों में फ्लैट या मकान किराए पर लेता था. एक बार जब क्रेडिट कार्ड का वेरिफिकेशन हो जाता था और फिर कार्ड की डिलीवरी हो जाती थी, तो उस मकान को खाली कर दिया करता था.

पुलिस का दावा है कि आरोपी ने फर्जी बैंक अकाउंट भी खुलवाए थे. इसके अलावा उसने कुछ कंपनी रजिस्टर करवाई हुई थी और इसमें अपने रिश्तेदारों और परिवार वालों को ही कर्मचारी के तौर पर दिखाया हुआ था. साथ ही उनकी सैलरी देने के नाम पर बैंक अकाउंट में पैसा रोटेट करता था. इससे उसका सिविल स्कोर काफी अच्छा रहता था और इस वजह से उसे आसानी से लोन मिल जाता था. टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पुलिस ने ठगी के इस धंधे को चलाने वाले शख्स को खोज निकाला. उसकी पहचान राजू पार्क, खानपुर दिल्ली निवासी शकील आलम के रूप में की गई. पुलिस कार्रवाई की भनक लगते ही उसने अदालत में अंतरिम जमानत की अर्जी लगाई. अदालत से अर्जी खारिज होने के बाद वह पुलिस के सामने नहीं आया, जिसके बाद पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद से छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया.

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