पूर्वोत्तर में रोजगार का सबसे बडा स्रोत बन सकता है “एंडवेंचर टूरिज्म” : प्रधानमंत्री

शिलांग: पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया का ‘‘प्रवेश द्वार” करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति का सक्रियता से पालन कर रही है और क्षेत्र में बुनियादी संरचना में सुधार के लिए काम कर रही है, लेकिन अभी ‘‘काफी कुछ किया जाना है.” तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 27, 2016 8:13 PM

शिलांग: पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया का ‘‘प्रवेश द्वार” करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति का सक्रियता से पालन कर रही है और क्षेत्र में बुनियादी संरचना में सुधार के लिए काम कर रही है, लेकिन अभी ‘‘काफी कुछ किया जाना है.” तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के बाद यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सभी पूर्वोत्तर राज्यों को रेल नेटवर्क से जोडने और सडक, दूरसंचार, बिजली और जलमार्गों में बुनियादी संरचना को उन्नत बनाने की मंशा रखती है ताकि उन्हें विकसित राज्यों की बराबरी पर लाया जा सके.

उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मेरी सरकार ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति का सक्रियता से पालन कर रही है. इस नीति के तहत हमारा मिशन इस क्षेत्र में सडक, रेल, दूरसंचार, बिजली और जलमार्गों में बुनियादी संरचना को उन्नत बनाना है.” मोदी ने कहा, ‘‘मैं पूर्वोत्तर क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार मानता हूं….काफी कुछ किया जा रहा है. काफी कुछ किया जाना है.” उन्होंने कहा कि केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद से पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क के विकास के लिए 10,000 करोड रुपए खर्च किए जा चुके हैं और रेल मंत्रालय मौजूदा वर्ष में 5,000 करोड रुपए से ज्यादा खर्च करने की योजना बना रहा है. क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि बेहतर सडक संपर्क, होटल और साफ-सफाई में सुधार कर पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए पर्यटक सर्किट विकसित करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘स्वदेश दर्शन’ नाम की एक नई योजना शुरु की है जिसके तहत देश में पर्यटक सर्किट विकसित किए जा रहे हैं और ऐसा एक सर्किट पूर्वोत्तर में प्रस्तावित है.
पूर्वोत्तर में रोजगार का सबसे बडा स्रोत बन सकता है "एंडवेंचर टूरिज्म"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में साहसिक पर्यटन रोजगार का सबसे बडा स्रोत बनकर उभर सकता है. उन्होंने इन क्षेत्र के राज्यों से इसके विकास और बढावे का अनुरोध किया.मोदी ने उत्तर पूर्व परिषद :एनईसी: के 65वें पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अगर अच्छे से विकसित किया जाए और बढावा दिया जाए, तो यह क्षेत्र में रोजगार का सबसे बडा स्रोत बनकर उभर सकता है. यह क्षेत्र की वृद्धि और आय में भी योगदान दे सकता है.” उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्व क्षेत्र के सभी राज्यों को प्राकृतिक सुंदरता, विशेष ऐतिहासिक सांस्कृतिक एवं समुदाय धरोहर का वरदान प्राप्त है.
मोदी ने कहा, ‘‘यह सब कुछ क्षेत्र में पर्यटन के अपार गुंजाइश पेश करता है. क्षेत्र में पर्वतारोहण, ट्रेकिंग और साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं.” पर्यटन मंत्रालय के ‘थेमैटिक सर्किट’ का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग करने की जरुरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पडोसी देशों के कुछ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को जोडने की सोचकर पर्यटकों के लिए आकर्षण बढा सकता है. पूर्वोत्तर को दक्षिण पूर्व एशिया का द्वार बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका लाभ उठाने की जरूरत है.
मोदी ने इस संबंध में अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए कहा, ‘‘हम अपने पडोसी देशों के लिए सड़क और रेल मार्ग दोनों खोल रहे हैं. यह क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढावा देगा.” प्रधानमंत्री के अनुसार, आज तक दस हजार करोड रुपये से अधिक की कुल लागत से 1001 किलोमीटर के क्षेत्र में पूर्वोत्तर राज्यों की 34 सडक परियोजनाओं को उत्तर पूर्व के लिए विशेष राजमार्ग निर्माण एजेंसी ‘राष्ट्रीय राजमार्ग एवं आधारभूत विकास निगम’ द्वारा लागू किया गया है.
उन्होंने बांग्लादेश के सहयोग से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी परियोजना को रेखांकित किया.बिजली के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र ने ज्यादा क्षेत्रों में बिजली सुनिश्चित करने के लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बिजली ट्रांसमिशन परियोजनाओं में निवेश किया है. रेलवे के मामले में उन्होंने कहा कि करीब दस हजार करोड रुपये की लागत से क्षेत्र में बडी रेलवे विस्तार परियोजनाएं चलाई गई हैं.

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