डॉ अंबेडकर की जयंती के दिन योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण तैयार करेंगे अपने राजनीतिक भविष्य का खाका

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले योगेंद्र यादव व वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण 14 अप्रैल को अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में बैठक कर भावी रणनीति पर चर्चा करेंगे. ध्यान रहे कि यह डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती का दिन है. इस मायने में इस दिन योगेंद्र व प्रशांत द्वारा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 31, 2015 10:28 AM
नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले योगेंद्र यादव व वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण 14 अप्रैल को अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में बैठक कर भावी रणनीति पर चर्चा करेंगे. ध्यान रहे कि यह डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती का दिन है. इस मायने में इस दिन योगेंद्र व प्रशांत द्वारा बैठक बुलाने के सांकेतिक मायने भी हैं. प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव इसमें अपनी राजनीति की दूसरी पारी के लिए खाका तैयार करेंगे और इस पूरे फैसले में उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं की सोच का अहम स्थान होगा.
आम आदमी पार्टी में भविष्य अब सीमित
प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव को जिस तरह पार्टी की तमाम अहम जिम्मेवारियों से मुक्त किया गया है और उनके खिलाफ पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से लेकर दूसरे नेताओं के तेवर तीखे हैं, उससे इन दोनों नेताओं को यह आभास हो गया है कि अब आम आदमी पार्टी में उनका कोई राजनीति भविष्य नहीं है. ऐसे में उन्हें भविष्य के लिए फैसले लेने होंगे.
राज्य इकाइयों से मिलेगी ताकत
प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव की राष्ट्रव्यापी पहचान है. प्रशांत एक प्रख्यात अधिवक्ता हैं और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देश भर में पहचाने जाते हैं. वहीं, योगेंद्र यादव की आकादमिक जगत में बडी हैसियत है. वे सामाजिक, राजनीतिक विेषक के रूप में भी मशहूर हैं. उनके प्रशंसकों व समर्थकों की एक लंबी फेहरिश्त है. आम आदमी पार्टी में ये दोनों नेता हमेशा राज्य इकाइयों के लिए संघर्ष करते रहे. इन्होंने हमेशा यह कहा कि राज्य इकाइयों को स्वायत्ता मिलनी चाहिए. ऐसे में संभावना है कि आम आदमी पार्टी की राज्य इकाइयों से इन्हें लोगों को साथ मिले.
नयी पार्टी बनाने की पहल
संभव है कि योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण एक नयी राजनीतिक पार्टी खडी करें. इसमें आप पार्टी के असंतुष्ट धडे के लोग आ सकते हैं. दूसरों दलों के उपेक्षित राजनीतिक कार्यकर्ता भी ऐसे में उनके साथ जुड सकते हैं. सिविल सोसाइटी के लोग का भी प्रशांत भूषण के कारण उनकी ओर रुझान हो सकता है. मयंक गांधी, अंजलि दमानिया सहित कई ऐसे लोग हैं जो केजरीवाल के तौर तरीके से नाखुश रहे हैं.

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