महबूबा मुफ्ती कल मिलेंगी राज्यपाल से, बोली सारे विकल्प अब भी खुले

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर पीडीपी ने आज कहा कि हम अबतक किसी हल के साथ तैयार नहीं हैं. सारे विकल्प अब भी खुले हुए हैं. महागठबंधन के फार्मूले से ऐसा माना जा रहा था की पीडीपी नेशनल कांफ्रेस और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2014 7:34 PM

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर पीडीपी ने आज कहा कि हम अबतक किसी हल के साथ तैयार नहीं हैं. सारे विकल्प अब भी खुले हुए हैं. महागठबंधन के फार्मूले से ऐसा माना जा रहा था की पीडीपी नेशनल कांफ्रेस और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. लेकिन आज पीडीपी प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा कि पार्टी अभी किसी अंतिम हल के साथ तैयार नहीं है.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के मुद्दे पर राज्यपाल एन एन वोहरा से कल बुधवार को मुलाकात करने वाली है. इस बीच, महबूबा के पिता और पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद पार्टी के भीतर लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं. राज्यपाल से चर्चा करने के लिए महबूबा आज जम्मू रवाना हुईं.

पीडीपी की मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘हालिया चुनावों में खंडित जनादेश से पैदा हुए हालात पर चर्चा करने के लिए राज्यपाल के आमंत्रण पर महबूबा कल उनसे मुलाकात करेंगी.’’ राज्यपाल ने शुक्रवार को पीडीपी अध्यक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा को अलग-अलग मुलाकातों के लिए आमंत्रित किया था ताकि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के मुद्दे पर चर्चा की जा सके.

विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश आने के बाद पीडीपी 87 सदस्यों वाले निचले सदन में 28 सीटों के साथ सबसे बडी पार्टी के तौर पर उभरी.भाजपा 25, नेशनल कांफ्रेंस 15 और कांग्रेस 12 सीटों के साथ क्रमश: दूसरी, तीसरी और चौथी सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरी. छोटी पार्टियों और निर्दलीयों ने सात सीटें जीती.

अब तक किसी भी पार्टी या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है. अगली सरकार बनाने को लेकर पीडीपी पार्टी के भीतर संभावित गठबंधनों पर चर्चा कर रही है. अख्तर ने कहा, ‘‘सईद पार्टी के हर स्तर के कार्यकर्ताओं से लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं.’’ जम्मू-कश्मीर में 19 जनवरी तक चुनी हुई सरकार बनानी है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो राज्य में राज्यपाल का शासन लागू कर दिया जाएगा.