मालवीय जी को भारत रत्न देने पर इतिहासकार गुहा इतिहास तक ले गये बात, जताया तीखा विरोध
नयी दिल्ली : पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने पर देश में बात इतिहास तक चली गयी है. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न देने के फैसले को सही बताया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि वाजपेयी को भारत रत्न देना उचित है, लेकिन एक ऐसे शख्स को […]
नयी दिल्ली : पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने पर देश में बात इतिहास तक चली गयी है. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न देने के फैसले को सही बताया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि वाजपेयी को भारत रत्न देना उचित है, लेकिन एक ऐसे शख्स को जिसकी बहुत पहले मौत हो गयी है, उसे भारत रत्न देना भूल है. रामचंद्र गुहा के ट्विट में शख्स शब्द पंडित मदन मोहन मालवीय के संदर्भ में प्रयुक्त किया गया है. उन्होंने एक अन्य ट्विट में लिखा है नरसिंह राव ने अपने समय में बिना दलगत सीमाओं के अटल बिहारी वाजपेयी और इएमएस नंबूदरीपाद (वामपंथी नेता) को पद्म विभूषण सम्मान देने का एलान किया था. हालांकि नंबूदरीपाद ने सम्मान ठुकरा दिया था.
Giving Vajpayee a Bharat Ratna is fine, but one should not award it to people dead or long dead. Awarding Malaviya is a mistake.. (1/2)
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) December 24, 2014
रामचंद्र गुहा के अनुसार, पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देना गलत फैसला है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है अगर मालवीय को भारत रत्न दिया गया तो, फुले, तिलक, गोखले, विवेकानंद, अकबर, शिवाजी, गुरुनानक, कबीर, अशोक को भारत रत्न क्यों नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने लिखा है कि मालवीय को भारत रत्न से नवाजना संकीर्ण फैसला है और इसका बचाव नहीं किया जा सकता है. गुहा ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विट में लिखा है कि मालवीय को भारत रत्न उनकी विद्वता और राष्ट्रभक्ति के लिए दिया गया है. दोनों ही क्षेत्र में उनसे कहीं अधिक महान भारतीय हैं. गोखले, तिलक, कमला देवी, भगत सिंह का स्वतंत्रता संग्राम में उनसे अधिक योगदान था. टैगोर का शिक्षा व साहित्य में उनसे अधिक योगदान है. पर, गोखले, तिलक, भगत सिंह, कमला देवी, टैगोर आदि कद्दावर शख्सियत ने न तो प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में काम किया था और न ही प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में रहते थे. उन्होंने लिखा है कि मैं उम्मीद करता हूं अब और अधिक मरणोपरांत भारत रत्न नहीं दिया जायेगा और उसका राजनीतिकरण कम किया जायेगा.
संघ विचारधारा के विद्वान माने जाने वाले बुद्धिजीवी डॉ राकेश सिन्हा ने रामचंद्र गुहा के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जतायी है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि एक क्रिकेट कॉमेंटेटर बिना समझ के इतिहासकार बन गये हैं. वे 10 जनपथ के दोस्त हैं और पहचान के मोहताज हैं. सोशल मीडिया पर रामचंद्र गुहा के बयान के बाद समर्थन व विरोध में प्रतिक्रिया देने का सिलसिला चल पड़ा है.
#RamchandraGuha is a farse, a cricket commentary writer became historian without understanding, the chum of 10 janpath ,has identity crisis
— Prof Rakesh Sinha MP (@RakeshSinha01) December 24, 2014