राजदीप सरदेसाई प्रकरण : क्या इस खबर का दूसरा पहलू भी है?
न्यूयार्क के मेडिसन स्कवॉयर गार्डन के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के कवर कर रहे चर्चित भारतीय पत्रकार राजदीप सरदेसाई व कथित तौर पर मोदी समर्थक एनआरआइ के बीच हुई झड़प को लेकर सोशल मीडिया व देश में बहस का दौर जारी है. सरदेसाई व उनके शुभचिंतकों का कहना है कि उनके साथ […]
न्यूयार्क के मेडिसन स्कवॉयर गार्डन के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के कवर कर रहे चर्चित भारतीय पत्रकार राजदीप सरदेसाई व कथित तौर पर मोदी समर्थक एनआरआइ के बीच हुई झड़प को लेकर सोशल मीडिया व देश में बहस का दौर जारी है. सरदेसाई व उनके शुभचिंतकों का कहना है कि उनके साथ मोदी के अंध समर्थकों ने मारपीट की और उन्हें गालियां दी, वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि हाथापाई की शुरुआत सरदेसाई ने ही की. हालांकि दोनों तरफ से अपने-अपने दावे में सोशल मीडिया पर तर्क व तथ्य परोसे जा रहे हैं.
Some NRIs certainly give a new meaning to Atithi Devo Bhava @PMOIndia @sardesairajdeep :https://t.co/D5mD0Heg1O
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) September 28, 2014
एक ओर जहां राजदीप समर्थक उनके पक्ष में वीडियो क्लिप शेयर कर रहे हैं, वहीं दूसरा पक्ष एक अन्य वीडियो क्लिप के साथ सोशल मीडिया पर मोरचा संभाले हुए है. विरोधी पक्ष का कहना है कि सरदेसाई ने उन्हें उकसाया और उनसे उकसाने वाला सवाल पूछा और फिर आपत्ति जताने पर उन पर हाथ चलाया, जिसकी प्रतिक्रिया में मोदी समर्थक एनआरआइ युवाओं ने सरदेसाई को रोकने की कोशिश की.
https://www.youtube.com/watch?v=lF-hXNojV1w
राजदीप व भारतीय समुदाय में हुई हाथापाई से मीडिया की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार जैसे चीर-परिचित जुमलों पर भी देश में बहस शुरू हो गया. राजदीप ने इस घटना के बाद ट्विट कर कहा कि मेडिसन स्कवॉयर में मोदी का भाषण शानदार था, लेकिन वहां पर उनके कुछ भक्तों का व्यवहार शानदार नहीं था.
Great crowd at Modison square garden! except a few idiots who still believe abuse is a way of proving their machismo! #ModiAtMadison
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 28, 2014
उन्होंने लिखा कि पहले मेरे ऊपर पर लात चलाये गये और मुङो गालियां दी गयीं, जब मैंने उनसे (एक पत्रकार के रूप में) प्रश्न पूछा. बाद में राजदीप ने शायराना अंदाज में एक ट्विट किया कि तेरी गलियों में न रखेंगे कदम आज के बाद.
Teri galiyon mein na rakhege kadam aaj ke baad… Gnight, shubhatri.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 29, 2014
चर्चित पत्रकार व राजदीप की पत्नी सागरिका घोष ने भी एक वीडियो शेयर करते हुए ट्विट किया कि कुछ एनआरआइ ने अतिथि देवो भव की नयी परिभाषा दी है. इस घटना के संबंध में सिद्धार्थ वर्धराजन व शेखर गुप्ता सहित कई बड़े पत्रकारों ने भी ट्विट कर अफसोस जताया. भारतीय मीडिया व राजनीति दोनों क्षेत्र के कई अहम शख्सियत ने भी इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री से बयान की मांग की. एक ट्विट में कहा गया कि राजदीप जैसे पत्रकार जब तक सक्रिय हैं, तब तक स्वतंत्र मीडिया को आवाज मिलती रहेगी और हमारे प्रधानमंत्री घृणा का समर्थन कतई नहीं करेंगे. मीडिया का एक धड़े ने यह खबर चलायी है कि प्रधानमंत्री इस घटना से आहत हैं.
गौरतलब है कि इस घटना के बाद ट्विटर पर Isupportrajdeep ट्रेंड करने लगा. कुछ समय तक यह पीएम मोदी के मेडिसन स्कवॉयर पर दिये गये भाषण से ऊपर ट्रेंड करता रहा. सोशल मीडिया पर कुछ घंटों के लिए ही सही पर नरेंद्र मोदी, राजदीप सरदेसाई से ट्रेंड के मामले में पिछड़ गये. इसके बाद मोदी समर्थकों ने मोर्चा संभालते हुए बड़ी बारीकी सेIsupportrajdeep टैग के साथ ट्विट करना शुरू किया. इन ट्विटों में प्रमुख रूप से मजाकिया ट्विट शामिल थे, जो राजदीप की पत्रकारिता की समझ और उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाते थे. इस प्रकार से मोदी समर्थकों ने यह लड़ाई भी राजदीप से जितने की रणनीतिक कोशिश की.
वहीं दूसरी कोशिश के तहत तथाकथित मोदी समर्थकों ने राजदीप समर्थकों द्वारा ट्विटर व सोशल मीडिया पर उनके द्वारा शेयर किये गये वीडियो के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए एक नया वीडियो शेयर किया, जिसमें सरदेसाई हाथापाई की शुरुआत करते हुए दिखाई देते हैं. सरदेसाई का विरोध करने वालों का कहना है कि पहले सरदेसाई ने ही एक एनआरआइ युवक को गालियां दी, जिस पर उसने वैसा ही जवाब दिया. साथ ही सरदेसाई ने उस पर हाथ भी चलाया, जिसके बाद एनआरआइ युवाओं ने भी उन पर हाथ चलाया. सोशल मीडिया पर उस वीडियो को भी शेयर किया गया है, जिसमें राजदीप के द्वारा पहले हाथ चलाने का दृश्य दिखाया गया है. दूसरे पक्ष का कहना है कि राजदीप ने उनसे उकसाने वाले सवाल पूछे. मेडिसन स्कवॉयर पर उनसे गुजरात दंगों के उकसाने वाले सवाल पूछे गये. इस पर एनआरआइ युवाओं ने सरदेसाई से प्रतिप्रश्न पूछा कि क्या आपको भारत के सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है, जिसने एसआइटी जांच के बाद मोदी को क्लीन चिट दी. युवाओं ने संसद में हुए नोट पर वोट कांड के संबंध में राजदीप से सवाल पूछा और उस घटना पर उनके द्वारा परदा डालने के कारण पूछे. सोशल मीडिया पर दोनों पक्ष के बीच वाद-प्रतिवाद जारी है.
बहरहाल, इस घटना के पीछे का सच जो भी हो, पर दूसरों की धरती पर भारतीयों के इस तरह उलझने से देश की प्रतिष्ठा पर आंच आती है. न तो मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला किया जा सकता है और न ही स्वतंत्र मीडिया के प्रतिनिधि के तौर पर पत्रकारिता करने वालों से किसी विचारधारा, दल या व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह रखने व किसी विशेष दल से अनुराग रखने की ही उम्मीद की जा सकती है.