महाराष्ट्र : निकाय चुनाव में भाजपा को जबरदस्त झटका, फडणवीस-गडकरी के गृह जिला में कांग्रेस का परचम

मुंबई : शिवसेना ने उपनगरीय मानखुर्द में बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वार्ड संख्या 141 का उपचुनाव जीत लिया. अधिकारियों ने बताया कि वार्ड में चुनाव बृहस्पतिवार को हुआ था और मतों की गिनती शुक्रवार को हुई. शिवसेना के उम्मीदवार विट्ठल लोकारे ने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बबलू पंचाल को 1,385 मतों के अंतर से हराया. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 10, 2020 7:57 PM

मुंबई : शिवसेना ने उपनगरीय मानखुर्द में बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वार्ड संख्या 141 का उपचुनाव जीत लिया. अधिकारियों ने बताया कि वार्ड में चुनाव बृहस्पतिवार को हुआ था और मतों की गिनती शुक्रवार को हुई.

शिवसेना के उम्मीदवार विट्ठल लोकारे ने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बबलू पंचाल को 1,385 मतों के अंतर से हराया. लोकारे को 4,427 वोट मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवर को 3,042 मत मिले. इसी तरह महाराष्ट्र में छह जिला परिषदों नागपुर, अकोला, वाशिम, नंदुरबार और पालघर और पंचायत समितियों में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. भाजपा नागपुर जिला परिषद का चुनाव भी हार गयी. यह पार्टी के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी का गृह जिला है.

भाजपा ने नागपुर जेडपी की 58 सीटों में से सिर्फ 15 सीटें जीतीं, वहीं कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उसकी सहयोगी एनसीपी को 10 सीटें मिली. शिवसेना ने नागपुर जिला परिषद (जेडपी) के चुनावी नतीजों को सनसनीखेज और चौंकाने वाला करार दिया है. इन चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी है. सत्तारूढ़ शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय में कहा गया कि धुले को छोड़कर शेष पांच जिला परिषदों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा.

संपादकीय में कहा गया कि इन पांच जिलों में कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना और प्रकाश अांबेडकर के नेतृत्व वाले वंचित बहुजन अघाड़ी ने अच्छा प्रदर्शन किया. संपादकीय में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री गडकरी के गृह क्षेत्र में भाजपा की हार सनसनीखेज और चौंकाने वाली है और ये नतीजे दिखाते हैं कि ग्रामीण आबादी पार्टी से तंग आ चुकी है. इसमें कहा गया कि कांग्रेस ने नागपुर विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था और अब उसने भाजपा से जिला परिषद का चुनाव जीत लिया है. इसमें कहा गया कि अगर नंदुरबार में और अन्य स्थानों पर कांग्रेस ने शिवसेना के साथ मिल कर चुनाव लड़ा होता तो भाजपा ‘खत्म’ हो गयी होती.

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