DUSU Election : अध्यक्ष सहित तीन पदों पर ABVP का कब्जा, NSUI एक सीट पर विजयी

।। विनय तिवारी ।। नयी दिल्ली : देश के सबसे केंद्रीय विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव नतीजों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर रहती है. दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति को दिल्ली समेत देश भर की राजनीति के लिए अहम संकेत के तौर पर देखा जाता रहा है. क्योंकि छात्र संघो के जरिये […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 13, 2019 4:51 PM

।। विनय तिवारी ।।

नयी दिल्ली : देश के सबसे केंद्रीय विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव नतीजों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर रहती है. दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति को दिल्ली समेत देश भर की राजनीति के लिए अहम संकेत के तौर पर देखा जाता रहा है. क्योंकि छात्र संघो के जरिये राजनीतिक दल कैंपस में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं. यही वजह है कि छात्र संघों को राजनीतिक दल हर तरह की मदद मुहैया कराते हैं.

चुनाव प्रबंधन की रणनीति बनाने और प्रचार में भी सक्रिय सहयोग करते हैं. इस बार के छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक बार फिर परचम लहराया है और एक पद पर एनएसयूआइ काबिज होने में सफल रहा. अध्यक्ष पद पर अक्षित दहिया, उपाध्यक्ष पद के लिए प्रदीप, संयुक्त सचिव पद के लिए शिवांगी एबीवीपी उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज करने में सफल रहे, जबकि सचिव पद पर कांटे की लड़ाई में एनएसयूआइ के आशीष लांबा विजयी रहे.

छात्र संघ चुनाव के नतीजे इस मायने मे भी अहम हैं कि देश की आर्थिक विकास दर कम हो रही है और रोजगार के अवसरों में भी कमी आयी है. लेकिन चुनाव के दौरान चंद्रयान और कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने का मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा है और छात्र हित से जुड़े मुद्दे हाशिये पर चले गये.

दिल्ली विश्वविद्यालय में देशभर के छात्र पढ़ते हैं और चुनाव के नतीजों से युवाओं के मूड का अंदाजा लगाया जा सकता है. युवा देश की राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी का दबदबा रहा है. एबीवीपी के दबदबे के कारण में छात्रों के बीच धीरे-धीरे राष्ट्रीय मुद्दे हावी होते गये और कैंपस का माहौल पहले से अधिक राजनीतिक हो गया है.

चुनाव परिणाम के नतीजों से जाहिर होता है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहे. यह चुनाव छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में आने का अवसर भी प्रदान करता है. अरुण जेटली, विजय गोयल, अजय माकन जैसे नेता दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति से केंद्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं.

जानकारों का कहना है कि इसके चुनाव परिणाम से दिल्ली की राजनीति पर भी असर पड़ता है. आम आदमी पार्टी ने भी छात्र राजनीति में कदम रखने का प्रयास किया था, लेकिन पार्टी इसमें विफल रही. दिल्ली विश्वविद्यालय में आमतौर पर एबीवीपी और एनएसयूआइ के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है.

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