नेशनल मेडिकल कमीशन बिल: जानिए क्या हैं बिल के मुख्य प्रावधान और इसके विरोध का कारण

नयी दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमीशन बिल लोकसभा से पास हो गया. इसके पक्ष में 260 मत पड़े जबकि विरोध में 48. सदन में विपक्ष द्वारा बिल पर लाए गए संसोधनों को खारिज कर दिया गया. कई विपक्षी दलों ने बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट किया. बता दें कि नेशनल मेडिकल कमीशन, इंडियन कमीशन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 31, 2019 1:04 PM

नयी दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमीशन बिल लोकसभा से पास हो गया. इसके पक्ष में 260 मत पड़े जबकि विरोध में 48. सदन में विपक्ष द्वारा बिल पर लाए गए संसोधनों को खारिज कर दिया गया. कई विपक्षी दलों ने बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट किया. बता दें कि नेशनल मेडिकल कमीशन, इंडियन कमीशन कांउसिल एक्ट 1956 की जगह लाया गया है.

सरकार का कहना है कि इस बिल की सहायता से मेडिकल की शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सकेगा और मेडिकल की शिक्षा को सभी के लिए ज्यादा आसान और सुलभ बनाया जा सकेगा. लोकसभा में प्रश्नों का जवाब देते हुए केंद्र्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, हमने अपने पिछले कार्यकाल में मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई थी और इस कार्यकाल में भी इस दिशा में काम किया जाएगा.

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के मुख्य प्रावधान

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक की सहायता से पूरे देश में बेहतर और पूर्ण रूप से प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी. साथ ही इस बिल के जरिए डॉक्टरों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई शोधों को अपनाने की तरफ जोर दिया जाएगा.

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के जरिए एक नेशनल मेडिकल आयोग का गठन किया जाएगा. इस आयोग में 25 सदस्य होंगे जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी. इनमें से 21 सदस्य मेडिकल फील्ड से जुड़े होंगे.

नेशनल मेडिकल कमीशन मेडिकल इंस्टीट्यूट और मेडिकल पेशेवरों के लिए नीतियों का निर्माण करेगी. साथ ही मेडिकल के क्षेत्र में मानव संसाधन और आधारभूत संरचना के विकास की दिशा में नीतिया बनाएंगी. यही नहीं, नेशनल मेडिकल कमीशन गाइडलाइन जारी करेगी जिसके जरिए निजी मेडिकल कॉलेजों और डिम्ड दर्जा प्राप्त संस्थानों की 50 फीसदी सीटों पर फीस निर्धारित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा.

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार द्वारा एक मेडिकल एडवाइजरी कमिटी बनाई जाएगी जिसका काम आयोग को मेडिकल शिक्षा की न्यूनतम स्टेंटर्ड निर्धारित करने में सलाह देना होगा.

बिल सें संबधित सवालों का जवाब देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि बिल के प्रावधानों के मुताबिक सरकार ने मेडिकल संस्थानों में पीजी में दाखिले के लिए देशभर में एक कॉमन परीक्षा आयोजित किया जाएगा. इसका नाम नेशनल एग्जिट टेस्ट दिया गया है.

लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले पांच साल में सरकार ने एमबीबीएस की 28000 सीटें बढ़ाई हैं वहीं पीजी मेडिकल के लिए 17000 सीटों में इजाफा किया है.

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का व्यापक विरोध

हालांकि बिल के पास होने के बाद से ही संसद सहित देशभर में उबाल है. देशभर के अलग-अलग हिस्सों में डॉक्टरों ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. संसद में तो विपक्षी पार्टियों ने बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया. इधर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से देशभर में स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी से उतर गयी है. डिलीवरी और इमरजेंसी पोस्टमॉर्टम के अलावा तमाम सेवाएं बाधित हैं.

विरोध जता रहे विपक्षी पार्टियों और हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि सरकार सारी व्यवस्था को अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश कर रही है. डॉक्टरों का मुख्य विरोध नेशनल एग्जिट टेस्ट और इंटर्नशिप के नियमों में बदलाव को लेकर है.

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