आरटीआइ में खुलासा : दस दिनों में मिला दो हजार करोड़ से ज्यादा का चंदा

पिछले महीने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले थे 2,256 करोड़ रुपये राजनीतिक पार्टियों को सिर्फ दस दिनों में दो हजार करोड़ से ज्यादा रुपये का चंदा मिला है. पिछले महीने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से 2,256 करोड़ का चंदा मिला. ये बॉन्ड अप्रैल की पहली तारीख से 10 तारीख के बीच के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 13, 2019 6:12 AM
पिछले महीने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले थे 2,256 करोड़ रुपये
राजनीतिक पार्टियों को सिर्फ दस दिनों में दो हजार करोड़ से ज्यादा रुपये का चंदा मिला है. पिछले महीने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से 2,256 करोड़ का चंदा मिला. ये बॉन्ड अप्रैल की पहली तारीख से 10 तारीख के बीच के हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक आरटीआइ के जवाब में यह जानकारी दी. इस साल अब तक 3,972 करोड़ के बॉन्ड बिक चुके हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा एक हजार करोड़ का था.
आरटीआइ कार्यकर्ता विहार ध्रुव की आरटीआइ आवेदन में यह जानकारी मिली है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में मुंबई में सबसे ज्यादा 695 करोड़ के चुनावी बॉन्ड बिके हैं, जबकि कोलकाता में करीब 418 करोड़, दिल्ली में करीब 409 करोड़ और हैदराबाद में करीब 339 करोड़ के चुनावी बॉन्ड बिके हैं.
चुनावी बॉन्ड पर सरकार और आयोग की राय अलग-अलग
लोकसभा में जब चुनावी बॉन्ड को लेकर चर्चा चल रही थी, तब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मैं एक ऐसा बॉन्ड ला रहा हूं, जिससे सत्ता पक्ष के अलावा विपक्ष को भी फायदा होगा. तब संसद में खूब तालियां बजी थीं. भाजपा चुनावी बॉन्ड के जरिये चुनाव सुधार लाने का दावा करती है, जबकि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाइ कुरैशी इस पर अलग राय रखते हैं.
एसवाइ कुरैशी की चुनावी बॉन्ड पर राय
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाइ कुरैशी के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड सरकार के पक्ष में है. बॉन्ड्स के जरिये कॉरपोरेट और सरकार की साठगांठ को छुपाना आसान हो गया है. इसकी असली वजह यह हो सकती है कि कॉरपोरेट्स नहीं चाहते कि उन्हें सरकार से लाइसेंस, लोन और कॉन्ट्रैक्ट रूप में जो रिटर्न फेवर मिलता है, उसकी जानकारी आम जनता को मिले. चुनावी चंदे को और पारदर्शी बनाने के बजाय चुनावी बॉन्ड के कारण जनता से जानकारी छुपा ली जायेगी, जिससे पूरी प्रक्रिया और गुप्त हो जायेगी.
क्या होता है चुनावी बॉन्ड
चुनावों में राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से चुनावी बॉन्ड लाया गया. इसमें एक करेंसी नोट लिखा रहता है, जिसमें उसकी वैल्यू होती है. ये दान करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं. इस बॉन्ड के जरिये आम आदमी, राजनीतिक पार्टी, व्यक्ति या किसी संस्था को पैसे दान कर सकता है. इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार रुपये, जबकि अधिकतम एक करोड़ रुपये होती है. चुनावी बॉन्ड एक हजार, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध हैं.
क्या सरकार बॉन्ड खरीदने वालों का पता लगा सकती है
चुनावी बॉन्ड्स पर एक सीक्रेट अल्फान्यूमेरिक नंबर होता है. इसके सहारे सरकार बॉन्ड खरीदने वाले को ट्रैक कर सकती है. सरकार पता लगा सकती है कि किसने सत्तारूढ़ पार्टी को चंदा दिया और किसने विपक्षी पार्टियों को. अब यह जानकारी भी सामने आ चुकी है कि चुनावी बॉन्ड से सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिल रहा है. पिछले साल मार्च में 222 करोड़ के बॉन्ड बिके. इसमें से सिर्फ बीजेपी को 210 करोड़ के बॉन्ड मिले, यानी बॉन्ड से कुल चंदे का 95 फीसदी सिर्फ भाजपा को गया.
इस साल अप्रैल में बिके चुनावी बॉन्ड (करोड़ में)
मुंबई 695
कोलकाता 418
दिल्ली 409
हैदराबाद 339

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