इंदौर : इस बार ताई मैदान में नहीं, फिर भी ‘कमल’ को खिलने की उम्मीद, जानें यहां का राजनीतिक इतिहास

मध्य प्रदेश की राजनीति में इंदौर लोकसभा सीट की हमेशा अहम रही है. इस सीट पर 1952 से 2014 तक 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. सबसे ज्यादा 8 बार इस सीट से भाजपा जीती है और हर बार यहां से 16वीं लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन सांसद चुनी गयीं. 1989 में भाजपा ने ताई […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 1, 2019 6:16 AM
मध्य प्रदेश की राजनीति में इंदौर लोकसभा सीट की हमेशा अहम रही है. इस सीट पर 1952 से 2014 तक 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं.
सबसे ज्यादा 8 बार इस सीट से भाजपा जीती है और हर बार यहां से 16वीं लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन सांसद चुनी गयीं.
1989 में भाजपा ने ताई यानी सुमित्रा महाजन की जीत के साथ इस सीट पर खाता खोला था, जो 2014 तक उन्हीं की जीत के साथ जारी रहा. इन 25 सालों में देश के राजनीतिक हालात में अनेक बदलाव आये और सत्ता का समीकरण बदला, मगर ताई की जीत के सिलसिले पर उसका कोई असर नहीं पड़ा. यह पहली बार है, जब भाजपा इस सीट पर अपनी नौवीं जीत के लिए चुनाव मैदान में है, मगर उम्मीदवार ताई नहीं हैं.
उन्होंने इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. उनके इनकार करने की वजह टिकट देने में भाजपा की ओर से हील-हवाली थी. इसके बाद भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इस सीट से मुख्य दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने भी यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था.
लिहाजा, भाजपा नेतृत्व ने यहां से शंकर लालवानी को टिकट दिया है. उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी से है. हालांकि सुमित्रा महाजन इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं, लेकिन उन्हें जनता से मिलने वाले समर्थन का फायदा भाजपा को मिलने की पूरी उम्मीद है. कमल को उनके मैदान में नहीं होने के बावजूद खुद के खिलने का भरोसा है.
इंदौर का राजनीतिक इतिहास
इंदौर लोकसभा सीट की लड़ाई भाजपा के लिए थोड़ी आसान हो सकती है. 1952 में यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ था. तब से 1984 तक यहां ज्यादातर कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1989 में पहली बार सुमित्रा महाजन ने भाजपा के टिकट पर यहां से जीत हासिल की और तब से लगातार यह सीट उन्हीं के नाम रही. 2014 में उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 4 लाख से भी ज्यादा वोटों से हरा कर जीत हासिल की थी. लोग अपनी ताई को खूब मानते हैं.
किसके सर कितनी बार जीत का सेहरा
कांग्रेस 6 बार 1952, 1957, 1967, 1971, 1980, 1984
भाजपा 8 बार 1989 से 2014 (हर बार सुमित्रा महाजन)
सीपीआइ 1 बार 1962
भालोद 1 बार 1977

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