बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान! भारत ने रोका तीन नदियों का पानी

बीकानेर : भारत लगातार पाकिस्तान को सबक सिखाने में लगा हुआ है. भारत ने अपनी तीन नदियों का पानी पड़ोसी मुल्क जाने से रोक दिया है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल यह दावा करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की ओर जाने वाली तीन नदियों का पानी भारत ने रोकने का काम किया है. अर्जुन मेघवाल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 11, 2019 10:28 AM

बीकानेर : भारत लगातार पाकिस्तान को सबक सिखाने में लगा हुआ है. भारत ने अपनी तीन नदियों का पानी पड़ोसी मुल्क जाने से रोक दिया है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल यह दावा करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की ओर जाने वाली तीन नदियों का पानी भारत ने रोकने का काम किया है. अर्जुन मेघवाल रविवार को बीकानेर में थे और इस दौरान केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री मेघवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान में बहने वाली पूर्वी नदियों के 0.53 मिलियन एकड़ फीट पानी को रोक दिया गया है. इस जल को संग्रहित करने का काम भारत ने किया है. जब भी राजस्थान या पंजाब को इसकी जरूरत होगी, उस पानी का उपयोग पीने और सिंचाई के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.

यहां चर्चा कर दें कि 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. इसके बाद भारत ने कई कठोर कदम उठाए. भारत की ओर से कहा गया था कि पाकिस्तान की ओर जाने वाली तीन नदियों (ब्यास, रावी और सतलुज) का अपने हिस्से का पानी रोकने की बात कही थी.

पुलवामा हमले के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान भी सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि सिंधु समझौते के तहत भारत अपने हिस्से का पानी पाकिस्तान जाने से रोक देगा. जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार का यह कदम 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि भारत ने केवल अपने हिस्से के पानी को रोकने का काम किया है. भारत अपने हिस्से के पानी का उपयोग पूरी तरह से कर सकता है.

सिंधु जल समझौते के बारे में आप भी जानें
यदि आपने कहीं पढ़ा हो तो शायद इसकी जानकारी आपके पास हो कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था. यह समझौता पूर्व की ओर बहने वाली नदियों- ब्यास, रावी और सतलुज के पानी के इस्तेमाल को लेकर दोनों देशों के बीच हुआ था. समझौते की मानें तो भारत को 3.3 करोड़ एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिला है, जबकि पाकिस्तान को 80 एमएएफ पानी दिया गया है. यहां विवाद की बात यह है कि संधि के तहत पाकिस्तान को भारत से अधिक पानी प्राप्त होता आ रहा है, जिससे यहां सिंचाई में भी इस पानी का सीमित उपयोग हो पाता है. केवल बिजली उत्पादन में इसका अबाधित इस्तेमाल होता आ रहा है. यही नहीं भारत पर परियोजनाओं के निर्माण के लिए भी सटीक नियम बनाने का काम किया गया हैं.

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