जेटली का राहुल पर निशाना : अपनी असफल राजनीति के कारण राफेल सौदे पर विवाद खड़ा करने को मजबूर

नयी दिल्ली : राहुल गांधी पर हमला तेज करते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष अपनी असफल राजनीति के कारण झूठ फैलाने और राफेल लड़ाकू विमान जैसे संवेदनशील रक्षा सौदे को लेकर विवाद खड़ा करने पर मजबूर हैं. जेटली ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्ववाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 13, 2018 10:20 PM

नयी दिल्ली : राहुल गांधी पर हमला तेज करते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष अपनी असफल राजनीति के कारण झूठ फैलाने और राफेल लड़ाकू विमान जैसे संवेदनशील रक्षा सौदे को लेकर विवाद खड़ा करने पर मजबूर हैं.

जेटली ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्ववाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने ही राफेल लड़ाकू विमान सौदे में देरी की थी. यह विमान सौदा भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी था. वित्त मंत्री कांग्रेस अध्यक्ष के उन आरोपों का जवाब दे रहे थे जिसमें राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल सौदे में चोरी किये जाने की बात स्वीकार कर ली है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार कर लिया कि वायुसेना से पूछे बिना उन्होंने अनुबंध में बदलाव किया है. जेटली ने लगातार किये गये कई ट्वीट में कहा कि झूठ बोलना असफल राजनीति का विकल्प नहीं हो सकता है.

जेटली ने सवाल किया, भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी राफेल सौदे को संप्रग सरकार ने लटकाये रखा. क्या राहुल गांधी की असफल राजनीति अब उन्हें भारत की संवेदनशील रक्षा जरूरतों पर विवाद खड़ा करने के लिए मजबूर कर रही है? केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को फ्रांस से 36 लड़ाकू विमानों की कीमत का ब्योरा सौंप दिया है. केंद्र का कहना है कि इन विमानों का सौदा बेहतर शर्तों पर किया गया है. सौदा करते समय 2013 में तय की गई रक्षा खरीद प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया गया. समझौता होने से पहले इस पर मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति (सीसीएस) की मंजूरी भी ली गयी.

फ्रांस के साथ हुए इस सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. इससे पहले राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, मोदीजी ने उच्चतम न्यायालय में अपनी चोरी को मान लिया है. न्यायालय को दिये शपथपत्र में उन्होंने वायुसेना से पूछे बिना अनुबंध में बदलाव करने और 30,000 करोड़ रुपये अंबानी की जेब में डालने की बात मान ली है.

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