कांग्रेस ने राफेल पर दसाल्ट के सीईओ के दावे को ‘मनगढ़ंत झूठ” बताया

नयी दिल्ली : राफेल मामले में चल रही राजनीतिक हलचल मंगलवार को उस वक्त तेज हो गयी जब दसाल्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि इस विमान सौदे में कुछ भी गलत नहीं हुआ, लेकिन कांग्रेस ने उनके इस दावे को ‘मनगढ़ंत झूठ’ करार दिया. दूसरी तरफ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राफेल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 13, 2018 4:04 PM

नयी दिल्ली : राफेल मामले में चल रही राजनीतिक हलचल मंगलवार को उस वक्त तेज हो गयी जब दसाल्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि इस विमान सौदे में कुछ भी गलत नहीं हुआ, लेकिन कांग्रेस ने उनके इस दावे को ‘मनगढ़ंत झूठ’ करार दिया.

दूसरी तरफ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राफेल मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायुसेना से पूछे बिना राफेल का कांट्रैक्ट बदल दिया. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, देश विमान सौदे में मनगढ़ंत स्पष्टीकरण नहीं, बल्कि निष्पक्ष जांच चाहता है. दरअसल, दसाल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपर ने एक साक्षात्कार में कहा है कि 58 हजार करोड़ रुपये के इस विमान सौदे में कुछ गलत नहीं हुआ और यह ‘साफ-सुथरा सौदा’ है. ट्रैपर ने दावा किया कि उनकी कंपनी ने ‘ऑफसेट साझेदार’ के तौर पर खुद से रिलायंस का चुनाव किया. इस पर सुरजेवाला ने कहा, पूर्वनियोजित साक्षात्कार और मनगढ़ंत झूठ से राफेल विमान को दबाया नहीं जा सकता. उन्होंने आरोप लगाया, भाजपा सरकार दसाल्ट के बीच फिक्स्ड मैच है. प्रधानमंत्री मोदी और एरिक ट्रैपर के पीआर स्टंट से भ्रष्टाचार को छिपाया नहीं जा सकता.

गांधी ने ट्वीट कर कहा, उच्चतम न्यायालय में मोदी जी ने मानी अपनी चोरी. हलफनामे में माना कि उन्होंने बिना वायुसेना से पूछे कांट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रुपया अंबानी की जेब में डाला. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त… . दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर बनी सहमति की तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया. सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

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