बोफोर्स मामलाः सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की मांग करेगी सीबीआई

नयी दिल्लीः सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सरकार से 2005 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और उसे कथित घोटाले में प्राथमिकी निरस्त करने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की मंजूरी देने की मांग की है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को लिखे एक पत्र में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 20, 2017 10:35 PM

नयी दिल्लीः सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सरकार से 2005 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और उसे कथित घोटाले में प्राथमिकी निरस्त करने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की मंजूरी देने की मांग की है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को लिखे एक पत्र में सीबीआई ने कहा कि वह दिल्ली हार्इकोर्ट के 31 मई, 2005 के उस फैसले को चुनौती देने के लिए एसएलपी दायर करना चाहती है, जिसमें बोफोर्स मामले में यूरोप स्थित हिंदूजा भाइयों के खिलाफ सभी आरोप निरस्त करने का आदेश दिया गया था.

इसे पढ़ेंः बोफोर्स मामले में जासूस हर्शमैन का दावा, राजीव गांधी की सरकार ने जांच में अटकाये थे रोड़े

सरकार के अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई 2005 में ही एसएलपी दायर करना चाहती थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसे इसकी मंजूरी नहीं दी. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि एजेंसी को 12 साल से ज्यादा समय तक इस बात की अनदेखी करने के लिए काफी स्पष्टीकरण देना होगा. दिल्ली हार्इकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आरएस सोढ़ी ने 31 मई, 2005 को हिंदूजा भाइयों (श्रीचंद, गोपीचंद एवं प्रकाशचंद) और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप निरस्त कर दिये थे और सीबीआई को मामले से निपटने के उसके तरीके के लिए यह कहते हुए फटकार लगायी थी कि इससे सरकारी खजाने पर करीब 250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा.

2005 के फैसले से पहले दिल्ली हार्इकोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश जेडी कपूर (तत्कालीन) ने चार फरवरी, 2004 को दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आरोपमुक्त कर दिया था और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 465 के तहत धोखाधड़ी का आरोप तय करने का निर्देश दिया था. पिछले बुधवार को सीबीआई ने कहा था कि वह निजी जासूस माइकल हर्शमैन के दावों के अनुरूप बोफोर्स घोटाले के तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करेगी. हर्शमैन ने आरोप लगाया है कि दिवंगत कांग्रेस नेता राजीव गांधी की अगुआई वाली सरकार ने उसकी जांच में रोड़े अटकाये थे.

अमेरिका स्थित निजी जासूसी एजेंसी फेयरफैक्स के अध्यक्ष हर्शमैन ने हाल में टीवी चैनलों को दिये इंटरव्यू में दावा किया कि राजीव गांधी को जब स्विस बैंक खाते मोंट ब्लैंक के बारे में पता चला था, तो वह काफी गुस्से में थे. निजी जासूसों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए पिछले हफ्ते यहां आये हर्शमैन ने यह आरोप भी लगाया था कि बोफोर्स तोप प्रकरण की रिश्वत का पैसा स्विस खाते में रखा गया था.

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