आरक्षण के लाभ का समान तरीके से वितरण के लिए राष्ट्रपति ने ओबीसी के आयोग का गठन किया

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-वर्गीकरण की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिएसोमवारको ओबीसी के एक आयोग का गठन किया जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार सभी अन्य पिछड़ा वर्गों में आरक्षण के लाभों के समान वितरण के तरीकों पर विचार करेगी. आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 3, 2017 11:14 AM

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-वर्गीकरण की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिएसोमवारको ओबीसी के एक आयोग का गठन किया जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार सभी अन्य पिछड़ा वर्गों में आरक्षण के लाभों के समान वितरण के तरीकों पर विचार करेगी. आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी रोहिणी होंगी.

एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-वर्गीकरण की व्यवहार्यता की जांच करने की दृष्टि से अन्य पिछड़ा वर्गों के एक आयोग का गठन किया है जिसकी रिपोर्ट प्राप्त होने पर सरकार, केंद्र सरकार की नौकरियों एवं केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश हेतु सभी अन्य पिछड़ा वर्गों में आरक्षण के लाभों के समान वितरण के तरीकों पर विचार करेगी. आयोग के अध्यक्ष द्वारा पदभार ग्रहण करने की तारीख से बारह सप्ताह के अंदर आयोग राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट पेश करेगा विज्ञप्ति में बताया गया कि आयोग की अध्यक्ष दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी रोहिणी होंगी.

समाजनीति समीक्षण केंद्र के निदेशक डॉ जेके बजाज इसके सदस्य होंगे और दो पदेन सदस्यों में कोलकाता स्थित भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण के निदेशक तथा भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त होंगे. सामाजिक और अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले सामाजिक और अधिकारिता विभाग के संयुक्त सचिव इस आयोग के सचिव होंगे.

आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा और इसके कार्यक्षेत्र में केंद्रीय सूची में शामिल अन्य पिछड़ा वर्गों के संदर्भ में ओबीसी की विस्तृत श्रेणी में शामिल जातियों-समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण की मात्रा की जांच करना, ऐसे पिछड़े वर्गों के अंतर्गत उप-वर्गीकरण के लिए क्रिया विधि, मानदंड तथा मानकों का वैज्ञानिक तरीके से आकलन करना एवं ओबीसी की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों समुदायों उप-जातियों पर्यायों की पहचान करने और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणी में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया आरंभ करना शामिल है.

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