गरदन की जकड़न में फिजियोथेरेपी कारगर उपचार

यह एक प्रकार का मस्क्युलो स्केलेटल डिसऑर्डर है, जिसमें गरदन मूव करने में दर्द एवं जकड़न का अहसास होता है. जकड़न ज्यादा हो, तो मरीज को पीछे देखने के लिए पूरा शरीर घुमाना पड़ता है. पहले यह 45 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे लोगों में होता था, जो टेबुल वर्क ज्यादा करते थे. पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 25, 2015 11:01 AM
यह एक प्रकार का मस्क्युलो स्केलेटल डिसऑर्डर है, जिसमें गरदन मूव करने में दर्द एवं जकड़न का अहसास होता है. जकड़न ज्यादा हो, तो मरीज को पीछे देखने के लिए पूरा शरीर घुमाना पड़ता है. पहले यह 45 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे लोगों में होता था, जो टेबुल वर्क ज्यादा करते थे. पर अब सभी उम्र के लोगों में यह समस्या हो रही है. उसका प्रमुख कारण है.

गलत पोस्चर में लगातार कार्य करना, जैसे- कंप्यूटर या मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल. गरदन मूव करते रहने से मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है. अन्यथा मांसपेशी में खून का संचार कम हो जाता है. इसके बाद मांसपेशी सख्त हो जाती है. मुख्यत: गरदन में स्थित ‘‘लिवेटर स्केपुली’’ मसल्स ज्यादा प्रभावित होते हैं. फिर स्टरनोमेस्टायड एवं ट्रेपिजियस भी प्रभावित हो जाते हैं. इससे गरदन आगे-पीछे ले जाने में तकलीफ होती है. शुरू में ही गरदन का व्यायाम नहीं करने से जकड़न बढ़ती जाती है. शुरु में इलाज नहीं करने पर रीढ़ की हड्डी एवं डिस्क भी प्रभावित होने लगते हैं. मरीज सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस या स्लिप डिस्क से ग्रसित हो जाता है. गरदन झुका कर कार्य करनेवालों को यह ज्यादा होती है. मांसपेशी के कमजोर होने से बुजुर्गो में जकड़न एवं दर्द की समस्या आम होती है. यह ‘स्टैटिक मसल्स डिसऑर्डर’ का प्रकार है.

तीन कारणों से जकड़न होती है :
गरदन की हड्डी का प्रभावित होना
इंटरवर्टीब्रल डिस्क का प्रभावित होना
गरदन की मांसपेशी का सख्त होना

स्ट्रेचिंग तकनीक : सिर को दायें कंधे की ओर झुका कर रखंे. अब दाहिने हाथ से बायें कंधे को नीचे की ओर दबाएं. 30 सेकंड तक रोक कर रखें फिर ढीला करें. ऐसा ही दूसरी ओर करें.
क्या करें
गरम पानी का सेंक करें
ज्यादा तकिया न लगाएं गरदन झुका कर कार्य न करें.
हर दो घंटे पर गरदन की आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज करें
कंप्यूटर एवं टेबुल की हाइट सही रखें. मोबाइल का उपयोग गरदन सीधा रख कर करें
गरदन आगे ले जाकर कार्य न करें
सर्वाइकल कॉलर का उपयोग लगातार न करें
टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन सामने से देखें
लिखने-पढ़ने के लिए टेबुल पर राइटिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें
फ्लैट टेबुल के बजाय डेस्क लाभकारी होता है
गरदन की स्ट्रेचिंग एवं आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज करें
सेल्फ, बेसिन एवं किचन के स्लैब की ऊंचाई सही रखें.
लंबे हैंडलवाले झाड़ू का इस्तेमाल करें. सर्वाइकल पिलो का उपयोग कर सकते हैं.
कारण एवं उपचार
मसल्स स्ट्रेन : गरदन झुका कर लगातार कार्य करना, कंप्यूटर या मोबाइल का उपयोग, पढ़ना, गाड़ी चलाना, सब्जी काटना आदि प्रमुख कारण.
गलत पोस्चर में या ज्यादा तकिया लगा कर सोना नेक इंज्युरी.
संक्रमण/मेनिन्जाइटिस : उसमें दर्द के साथ जकड़न, बुखार, सिरदर्द, दस्त भी आता है.
स्लिप डिस्क : इसमें दर्द के साथ हाथ के नसों में झनझनाहट भी आ सकती है.
स्पॉन्डिलाइटिस : इसमें गरदन की मांसपेशियों में दर्द होता है.
लक्षण : गरदन में दर्द एवं भारीपन, त्न गरदन घुमाने में असमर्थ होना
दर्द का पीठ, कंधे या अन्य भागों में जाना
सिर में दर्द होना त्न कंधे या पीठ में जकड़न महसूस होना त्न चक्कर आना.
उपचार : गरदन की मांसपेशियों को मुलायम एवं गरदन की जोड़ों को फ्री किये बिना मूवमेंट नॉर्मल करना संभव नहीं है. अत: ऐसा होने पर शीघ्र कुशल फिजियोथेरेपिस्ट से मिलें. वे अल्ट्रासॉनिक एवं हॉट पैक द्वारा मांसपेशियों को मुलायम बनाते हैं तथा मोबिलाइजेशन एवं स्ट्रेचिंग तकनीक द्वारा गरदन के मूवमेंट को नॉर्मल बनाते हैं. साथ ही अपको गरदन की एक्सरसाइज एवं इर्गोनोमिक केयर का तरीका बताते हैं.
नोट : दर्द एवं जकड़न की शुरुआत में ही फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करने पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है तथा इससे जल्द राहत मिलती है. संक्रमण की अवस्था में सेंक न करें.
डॉ नीरज प्रकाश
सीनियर फिजियो एंड एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट फिजियोकेयर एंड वेलनेस सेंटर, पटना
मो : 9572050896

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