डायबिटीज में हाइ डोज जानलेवा

ज्यादातर मरीज टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए दवा लेते हैं. हालांकि, लाइफस्टाइल के आधार पर लोगों को अलग-अलग डोज की जरूरत होती है. स्टडी में पाया गया कि 22 प्रतिशत मरीज ओवरडोज लेते हैं. यह हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकता है, जो जानलेवा है. जबकि मरीज डाइट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 20, 2019 8:53 AM
ज्यादातर मरीज टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए दवा लेते हैं. हालांकि, लाइफस्टाइल के आधार पर लोगों को अलग-अलग डोज की जरूरत होती है. स्टडी में पाया गया कि 22 प्रतिशत मरीज ओवरडोज लेते हैं. यह हाइपोग्लाइसीमिया का कारण बन सकता है, जो जानलेवा है. जबकि मरीज डाइट को कंट्रोल में रखे और फिजिकल एक्टिविटी भी करे, तो कम डोज में भी काम चल सकता है.
हालांकि, कई डॉक्टर्स HBA1C को नीचे लाने के लिए ज्यादा डोज की दवा दे देते हैं. डॉक्टर्स का लक्ष्य इसे 6.5 तक लाने का होता है. जबकि मरीज पर निर्भर करता है कि एवरेज शुगर लेवल कैसे कंट्रोल करे. दवा के हाइ डोज से शुगर लो हो जाता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं. डॉक्टर्स को चाहिए कि वे मरीज को उनके हिसाब से सही डोज दें.

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