युवाअों और बच्चों का भविष्य सवार रहीं नीलम मखीजानी

नेशनल कंटेंट सेल चाइल्डफंड इंडिया भारत के दूरदराज के क्षेत्र के बच्चों, युवाओं की जिंदगी संवारने का काम कर रही है . इसका लक्ष्य बच्चों को एक बेहतरीन भविष्य देना है. यह बच्चों को अपना पूरा हुनर दिखाने का मौका भी देती है. नीलम मखीजानी न्यू यार्क के एक एशियन वीकली के लिए पत्रकार के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 9, 2018 8:22 AM

नेशनल कंटेंट सेल

चाइल्डफंड इंडिया भारत के दूरदराज के क्षेत्र के बच्चों, युवाओं की जिंदगी संवारने का काम कर रही है . इसका लक्ष्य बच्चों को एक बेहतरीन भविष्य देना है. यह बच्चों को अपना पूरा हुनर दिखाने का मौका भी देती है. नीलम मखीजानी न्यू यार्क के एक एशियन वीकली के लिए पत्रकार के रूप में काम करती हैं. नौकरी के साथ ही वह कई मानवतावादी पहल से जुड़ी हुई हैं. उनके मन में जमीनी स्तर से जुड़ कर बच्चों के लिए कुछ करने का जज्बा पहले से ही पल रहा था. इसलिए वह वापस दिल्ली लौट आईं और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और कम्युनिकेशन को मैनेज करने के लिए हेल्पएज इंडिया को ज्वाइन किया.

जल्द ही वह बेहतर फंड जोड़ने में सफल रहीं और जल्द ही वह डायरेक्टर के पद पर प्रमोट हो गयीं. इसके बाद उन्हें संस्था की मदद के लिए ब्रिटेन भेज दिया गया. वह ब्रिटेन में 15 साल तक रहीं और विभिन्न वैश्विक संगठनों के साथ नेतृत्व की भूमिका निभायी. नीलम ने लंदन विश्वविद्यालय से एमबीए और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लीडरशिप में उत्कृष्टता का कोर्स किया है. ब्रिटेन में रहने के दौरान उन्होंने कई दूसरे भी लीडरशिप कोर्स किये.

नीलम बताती हैं, मैंने लीडरशिप टैलेंट की जरूरत या डिवेलपमेंट सेक्टर में इसकी कमी पर विचार किया. इसके अलावा मेरी घर वापस जाने और अपनी बीमार मां की देखभाल करने की भी इच्छा थी. मैं चार साल पहले चाइल्डफंड इंडिया को बतौर कंट्री डायरेक्टर और सीइओ ज्वाइन कर लिया.

सालाना 25 लाख परिवारों तक पहुंच

निलम बताती हैं कि उनकी संस्था कि पहुंच 16 राज्यों में है और अपने कार्यक्रम के जरिये सालाना 25 लाख से अधिक बच्चों, युवाओं और उनके परिवारों तक पहुंच जाती है. हम मानते हैं कि हरेक बच्चे को स्वस्थ, शिक्षित और सुरक्षित होने के लिए देखभाल, सहयोग और सुरक्षा हासिल करने का अधिकार है क्योंकि सभी बच्चों की भलाई दुनिया को बेहतर बनाती है.

चाइल्डफंड के अनूठे कार्यक्रम बच्चे के गर्भ में आने से लेकर 24 साल का होने तक स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, लिंग समानता, विकलांगता, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, आजीविका, बाल संरक्षण जैसे व्यापक सहयोग मुहैया कराते हैं. नीलम का मानना ​​है कि बंधुआ मजदूरी भारत की सबसे बड़ी तस्करी की समस्या को पैदा करती है. पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को कभी-कभी पिछली पीढ़ियों से विरासत में कर्ज मिलता है. जिसकी वजह से उन्हें ईंट भट्टियां, चावल मिलों, कृषि और कढ़ाई कारखानों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है.

Next Article

Exit mobile version