हकलाना-तुतलाना दूर करती है यह शंख मुद्रा

ओशो सिद्धार्थ औलिया योग विशेषज्ञ, ओशोधारा सोनीपत हकलाने का अर्थ है अटक-अटक कर बोलना और तुतलाने का मतलब है आवाज साफ न आना. इससे बोले हुए शब्द साफ समझ में नहीं आते. इनसे पीड़ित व्यक्ति यह तो जानता है कि उसे क्या बोलना है, लेकिन वह बोल नहीं पाता और एक ही अक्षर या शब्द […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 8, 2017 12:43 PM
ओशो सिद्धार्थ औलिया
योग विशेषज्ञ, ओशोधारा सोनीपत
हकलाने का अर्थ है अटक-अटक कर बोलना और तुतलाने का मतलब है आवाज साफ न आना. इससे बोले हुए शब्द साफ समझ में नहीं आते. इनसे पीड़ित व्यक्ति यह तो जानता है कि उसे क्या बोलना है, लेकिन वह बोल नहीं पाता और एक ही अक्षर या शब्द बार-बार दोहराता है.
बोलते समय उसके होठ कांपते हैं और वह आंखें भी भींचता है. यह समस्या बोलने से जुड़ी मांसपेशियों और जीभ पर नियंत्रण न रह जाने से पैदा होती है. कई बार, नर्वस होने, तनाव या अधिक उत्साहित होने से भी हकलाहट की समस्या देखी गयी है. यह समस्या छोटे बच्चों में अधिक होती है और तुरंत उपचार न हो, तो उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है. इससे मनोबल गिरता है. निराशा की भावना घर कर जाती है.
व्यक्ति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से घबराता है. किसी से मिलने-जुलने की उसकी प्रवृत्ति कम हो जाती है और वह रास्ता पूछने या फोन पर बात करने जैसी आम स्थितियों से भी बचना चाहता है. ऐसे रोगियों के लिए सहज शंख मुद्रा बहुत कारगर है. अगर इस मुद्रा को वज्रासन में बैठ कर करें, तो लाभ और अधिक होगा.
कैसे करें : दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा कर हथेलियां दबाएं और दोनों अंगूठों को मिला कर तर्जनी उंगली को हल्के से दबाएं.
कितनी देर : 15- 15 मिनट तीन बार.
संपर्क : ओशोधारा, मुरथल, सोनीपत, हरियाणा-131027, दूरभाष: 09891532889