गुलामी में जी रहे विश्व के 40.3 मिलियन लोग, 70 प्रतिशत महिलाएं हो रही शोषण का शिकार

संयुक्त राष्ट्र में जारी की गयी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 तक विश्व में कुल 40.3 मिलियन लोग गुलामी कर रहे थे और इनमें से 71 प्रतिशत महिलाएं हैं. एक नयी रिपोर्ट में दुनिया भर में फैली आधुनिक दासता का पहला व्यापक अनुमान निकाला गया है. न्यूज डीपली में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 25, 2017 12:58 PM
संयुक्त राष्ट्र में जारी की गयी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 तक विश्व में कुल 40.3 मिलियन लोग गुलामी कर रहे थे और इनमें से 71 प्रतिशत महिलाएं हैं.
एक नयी रिपोर्ट में दुनिया भर में फैली आधुनिक दासता का पहला व्यापक अनुमान निकाला गया है. न्यूज डीपली में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर मामलों में महिलाओं और लड़कियों का विशेष रूप से शोषण किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र में जारी आधुनिक गुलामी की वैश्विक सीमा पर एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 तक विश्व में कुल 40.3 मिलियन लोग गुलामी कर रहे हैं और इनमें से 71 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियों हैं. वॉक फ्री फाउंडेशन, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन और माइग्रेशन के लिए इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित रिपोर्ट में पहली बार यह आंकड़ा पेश किया गया है. इस समस्या के प्रसार का आकलन करने के लिए आधुनिक गुलामी से लड़ने वाले तीन प्रमुख संगठन एक साथ आये हैं और उन्होंने यह रिपोर्ट जारी किया है. रिपोर्ट में आधुनिक दासता की अवधारणा को चार श्रेणियों में बांटा गया है. जबरन श्रम, मजबूर विवाह, मजबूर यौन शोषण और राज्य द्वारा मजबूर श्रम राज्य-श्रमिक श्रम.
वर्ष 2016 की रिपोर्ट के साथ कुल 4.8 मिलियन लोगों के साथ जबरन यौन शोषण किया गया था. जिनमें 99 प्रतिशत पीड़ित महिला वह प्रत्येक पांच में से एक बच्ची थी. इनमें से 15.4 मिलियन अर्थात 84 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियों ने मजबूरी में विवाह किया है और दासता कर रहीं हैं और इनमें से 59 प्रतिशत महिलाएं निजी श्रमिक के रूप में काम कर रहीं हैं.
वॉक फ्री फाउंडेशन में वैश्विक शोध के प्रमुख फियोना डेविड ने कहा कि आधुनिक दासता को समझने के लिए लिंग गतिशीलता को समझना महत्वपूर्ण था. फियोना बताती हैं कि आप लैंगिक पहलुओं को अनदेखा नहीं कर सकते. क्योंकि हमने देखा है कि महिलाओं का शोषण किस प्रकार से घरेलू कामों में किया जाता है. इनके साथ वाणिज्यिक व व्यावसायिक यौन शोषण भी होता है. जबकि पुरुषों का शोषण मुख्य रूप से निर्माण, विनिर्माण, कृषि, मछली पकड़ने के क्षेत्र में होता है.
37 देशों ने स्लेवरी के खिलाफ अभियान में किया हस्ताक्षर
फियोना ने बताया कि हमने रिपोर्ट के दौरान पाया कि दासता के इस आंकड़े में मजबूर विवाह को जोड़ना महत्वपूर्ण था. हमने पाया कि मजबूर विवाह की शिकार सबसे छोटी लड़की नौ साल की बच्ची थी. वे बताती हैं कि इस मजबूर विवाह में बच्चियों को धकेलने में मुख्य भूमिका धर्म गुरुओं की है. इस बार के आंकड़े पहले किये गये सर्वेक्षण से कुछ कम है.
पिछली बार की यह संख्या 45.8 मिलियन थी. इस रिपोर्ट के आंकड़ों में 54 देशों के मानव सर्वेक्षण, बाल श्रम के पीड़ितों पर अंतरराष्ट्रीय संगठन के रिकार्ड, राज्य-श्रमिक श्रम पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्टों का उपयोग किया गया था. संयुक्त राष्ट्र में इस बार 37 देशों ने मॉडर्न स्लेवरी के खिलाफ अभियान में साथ देने की बात की है.

Next Article

Exit mobile version